पूरा देश इस समय कोरोना के संकट से जूझ रहा है। चीन से आया ये घातक वायरस धीरे-धीरे अपनी जड़ पूरे देश में फैलाता जा रहा है। इससे बचने के लिए लगातार लोगों से अपील की जा रही है कि वो घर में रहें। इसी के चलते देश में 21 दिन के लाकडाउन कर दी गया है। इसी बीच गणगौर की पूजा भी शुरू हो गई है। इस बार गणगौर पूजा का समापन 27 मार्च को हो रहा है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश के आलवा उत्तर भारत के ज्यादातर जिलों में इसे मनाया जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित इस पर्व के आखिरी दिन का सबसे ज्यादा महत्व है। अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखा जाने वाला ये पर्व और इसकी पूजा दोनों ही खास होती है।
मगर इस साल लॉकडाउन के कारण बहुत सी चीजों पर प्रभाव पड़ रहा है। उसी में से एक है गणगौर की पूजा। जिसके लिए आप कहीं बाहर ना जाकर घरों पर ही पूजा करें। आइए आपको बताते हैं इस बार कैसे आप अपने घर पर ही गणगौर की पूजा कर सकते हैं-
घर की आंगन में ही बना लें छोटा सा कुंड
होली की शाम से शुरू होने वाली इस गणगौर व्रत पूजा को कुंवारी और विवाहित महिलाएं रखती हैं। जिसमें हर दिन गणगौर जी की पूजा करती हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तक इस पूजा को रोज किया जाता है। इसी दिन महिलाएं किसी पवित्र नदी, सरोवर, तालाब या कुंड पर जाकर गणगौर को पानी पिलाती हैं। मगर इस बार आप कहीं बाहर नहीं जा पाएंगी इसलिए अपने घर के बगीचे या आंगन में ही छोटा सा कुंड बना लें। आप इसी में पूजा कर सकती हैं।
वहीं लॉकडाउन के चलते हुए आप इस बार तृतीया के दिन शाम में विसर्जन करने भी बाहर नहीं जा पाएंगी। इसलिए इसके लिए भी आपको अपने घर का कोई हिस्सा चुनना होगा जहां हम पूजा का सारा समान सफाई से रख सकें।
चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को सुबह स्नान करें। याद रहे नहाने का पानी शुद्ध होना चाहिए। आप चाहें तो इसमें गंगाजल मिला सकते हैं। इसके बाद गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जावेर बोना चाहिए। इन जवारों को ही देवी गौरी और शिव का रूप माना जाता है।
पूजा करते समय गौरी जी की स्थापना पर सुहाग की वस्तुएं जैसे कांच की चूड़ियां, सिंदूर, महावर, मेहंदी, टीका, बिंदी, शीशा, काजल आदि चढ़ाएं। सुहाग की साम्रगी को चंदन, अक्षत, धूप-दीप से विधि पूर्वक पूजा की जाती है और मां गौरी को भोग लगाया जाता है।
इसके बाद गौरीजी की भोग लगाकर कथा पढ़ी जाती है। कथा के पश्चात सभी सुहागन महिलाएं एक-दूसरे की मांग भरती हैं और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
माना जाता है कि माता पार्वती इस दिन सभी सुहागन स्त्रियों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया। इसलिए इस दिन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।