Ganesh Chaturthi 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस अवसर पर हिंदू धर्म को मानने वाले लोग गणेश चतुर्थी के रूप में इस खास त्योहार को मनाते हैं।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सुख-समृद्धि के देवता गणेश का काफी महत्व है और गणेश चतुर्थी एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पूरे दस दिनों तक चलने वाला उत्सव होता है जिसमें 10 दिनों तक लोग गणपति की पूजा-अर्चना करते हैं। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी को सबसे ज्यादा मनाया जाता है वहीं अन्य राज्यों में भी इसे धूम धाम से मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी के दिन खास तौर पर लोग बप्पा की मूर्ति अपने घर लाते हैं और नियम से पूजा-अर्चना करते हैं। हालांकि, भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना करने के लिए शास्त्रों में नियम और मुहूर्त बताए गए हैं जिनके मुताबिक की मूर्ति स्थापना की जानी चाहिए।
गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी के दिन घरों और बड़े-बड़े पूजा पंडालों में भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। इस साल चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 9 मिनट पर होगी और इसका समापन 19 सितंबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर होगा।
उदया तिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाएगी। गणेश भगवान की प्रतिमा स्थापित करने का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 17 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त पर भक्त बप्पा का स्वागत अपने घर कर सकते हैं।
गणेश स्थापना की विधि
- इस दिन भक्त सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े पहनें।
- इसके बाद अपने माथे पर तिलक लगाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं।
- आपका आसन बिल्कुल भी कटा-फटा नहीं होना चाहिए।
- इसके बाद गणेश भगवान की प्रतिमा को किसी लकड़ी के पटरे या गेहूं, मूंग, ज्वार के ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
- भगवान गणपति की प्रतिमा के दाएं-बाएं रिद्धि और सिद्धि के प्रतीक स्वरूप एक-एक सुपारी रखें।
गणेश चतुर्थी पूजन विधि
1- गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर, पूर्व और पूर्वोत्तर भाग में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
2- अब पूजा की सारी सामग्री लेकर पूजा स्थल पर बैठ जाएं।
3- गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित करें और नवग्रह, षोडश मातृका बनाएं।
4- चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं।
5- अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ऊँ पुण्डरीकाक्षाय नम: कहते हुए भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें और माथे पर तिलक लगाएं।
6- अपने हाथों में फूल, अक्षत ले और मंत्र को पढ़कर भगवान का ध्यान करें।
7- इसी मंत्र को कहते हुए उनका आह्वान करें और आसन भी प्रदान करें।
8- आसन के बाद भगवान गणेश को स्नान कराएं। पंचामृत से और शुद्ध पानी दोनों से आप स्नान करा सकते हैं।
9- अब भगवान का वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि जो भी संभव यथाशक्ति उपलब्ध हो उसे चढ़ाएं।
10- इसके बाद गणेश भगवान की आरती करें और प्रार्थना करके आशीर्वाद लें।
(डिस्क्लेमर: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य विशेषज्ञ राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या से परामर्श लें। लोकमत हिंदी इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।)