Ganesh Chaturthi 2019: भगवान गणेश की वंदना के साथ कोई भी काम शुरू हो, हिंदू मान्यताओं में परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। विघ्नहर्ता, विघ्नविनाशक, मंगलमूर्ति, लंबोदर, एकदंत जैसे कई नामों से प्रसिद्ध गणेश भगवान को समर्पित गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन इसकी सबसे ज्यादा धूम महाराष्ट्र में नजर आती है।
गणेश उत्सव के मौके पर 7 से 11 दिनों तक घरों में लोग भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करते हैं और पूजन करते हैं। कुछ लोग 3, 5, 7 या 10 दिन में भी गणपति का विसर्जन करते हैं। भगवान गणेश का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि उन्हें समृद्धि, ज्ञान, बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है। यही नहीं, हिंदू देवी-देवताओं में उनका रूप सबसे अलग और निराला है और यह बात भी उन्हें सबसे अलग करती है। क्या आप जानते हैं उनके शरीर से जुड़े ये अलग अंग भी सांकेतिक तौर पर कुछ सीख देते हैं। आईए, जानते हैं इनके बारे में....
Ganesh Chaturthi: भगवान गणेश से सीखें ये बातें
- गणेश जी का कान सूप की तरह है। जैसे सूप का धर्म है 'सार-सार को गहि लिए और थोथा देही उड़ाय', ऐसे ही हमें यह सीखना चाहिए कि हमें कान का सच्चा होना चाहिए। सूप जैसे केवल अनाज रखता है और बिना इस्तेमाल वाली चीजों को अलग कर देता है वैसे ही कान से सभी की सुनें लेकिन केवल सत्य के अंतर को पहचाने और उसे जीवन में उतारे।
- नाक यानी सूंड़ जो हमारी हर गंघ (विपदा) को दूर से ही पहचान लेता है, वैसे ही हमारी भी परिस्थितियों को भांपने की क्षमता होनी चाहिए।
- गणेश की के दो दांत हैं। इसमें एक अखंड और दूसरा खंडित है। अखंड दांत श्रद्धा का प्रतीक है। इसके मायने ये हुए कि श्रद्धा हमेशा बनाए रखनी चाहिए। खंडित दांत बुद्धि का प्रतीक है। इसका तात्पर्य ये है कि विवेकशील व्यक्ति को अहं से दूर रहना चाहिए। एक बार बुद्धि भ्रमित हो लेकिन श्रद्धा नहीं डगमगाए।
- गणेश की आंखें सूक्ष्म हैं। यह जीवन में सूक्ष्म लेकिन तीक्ष्ण दृष्टि रखने की प्रेरणा देती हैं।
- गणेश अक्सर तस्वीरों और मूर्तियों में एक पैर जमीन पर और दूसरा जमीन से ऊपर या फिर घुटने पर रखे हुए नजर आते हैं। इसके मायने ये हुए कि इस धरती पर रहने वाले विवेकशील और ज्ञानी व्यक्ति धरती पर रहकर भी पूरी तरह से यहां का नहीं होते हैं। वह यहां के मोह-माया में नहीं बंधे होते हैं।