Eid-ul-Adha 2023: देश भर में ईद उल अजहा का त्योहार 29 जून को, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बकरीद का चांद नजर आया
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 19, 2023 09:32 PM2023-06-19T21:32:27+5:302023-06-19T21:33:40+5:30
Eid-ul-Adha 2023: दिल्ली में सोमवार को बादलों के छाए रहने की वजह से चांद के दीदार नहीं हो सके, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बकरीद का चांद नजर आया है।
Eid-ul-Adha 2023:दिल्ली समेत देश भर में ईद उल अजहा का त्योहार 29 जून को मनाया जाएगा। दिल्ली में सोमवार को बादलों के छाए रहने की वजह से चांद के दीदार नहीं हो सके, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बकरीद का चांद नजर आया है।
चांदनी चौक स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने बताया, ‘‘दिल्ली और आसपास के इलाकों में बारिश होने और बादल छाए रहने की वजह से चांद नहीं दिख पाया है, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में चांद दिखा है।’’
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़, वाराणसी और मऊ आदि हिस्सों में इस्लामी केलेंडर के आखिरी महीने ‘ज़ुल हिज्जा’ का चांद दिखने की तस्दीक (पुष्टि) हुई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लिहाज़ा, ईद-उल-अज़हा का त्योहार 29 जून को मनाया जाएगा।’’ इस्लामी केलेंडर में 29 या 30 दिन होते हैं जो चांद दिखने पर निर्भर करते हैं।
बता दें कि बकरीद का त्योहार चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता है, और ईद उल ज़ुहा या अज़हा या बकरीद, ईद उल फित्र के दो महीने नौ दिन बाद मनाई जाती है। वहीं, मुस्लिम संगठन इमारत-ए-शरिया हिंद ने भी 29 जून को बकरीद का त्योहार मनाए जाने का ऐलान किया है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद से जुड़े संगठन ने एक बयान में बताया कि इमारत-ए-शरिया हिंद की ‘रुअत ए हिलाल’ (चांद समिति) ने एक बैठक में पुष्टि की है कि महाराष्ट्र के नागपुर और मालेगांव, कर्नाटक के रायचूर तथा गुलबर्ग और उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़, जौनपुर, सराय मीर और मऊ में ज़ुल हिज्जा का चांद दिखने की पुष्टि हुई है।
जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी एक बयान में 29 जून को बकरीद का त्योहार मनाए जाने की घोषणा की। इस्लामी मान्यता के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम अपने पुत्र इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया और वहां एक पशु की कुर्बानी दी गई थी जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।
तीन दिन चलने वाले त्योहार में मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी हैसियत के हिसाब से उन पशुओं की कुर्बानी देते हैं, जिन्हें भारतीय कानूनों के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया है। मुफ्ती मुकर्रम ने कहा, ‘‘मुस्लिम समुदाय के जिन लोगों के पास करीब 613 ग्राम चांदी है या इसके बराबर के पैसे हैं या कोई और सामान है, उन पर कुर्बानी वाजिब है।’’