ईस्टर संडे, ईसाई समुदाय का सबसे खास पर्व माना जाता है। माना जाता है कि ईस्टर संडे के दिन ही प्रभु ईसामसीह, मृत्यु के तीन दिन बाद फिर से जी उठे थे। जिससे लोग हर्षोउल्लास के साथ इस पर्व को मनाते हैं। इस साल ईस्टर संडे 12 अप्रैल को पड़ रहा है। पूरे देश में ये पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है।
इस दिन को ईसाई धर्म के लोग मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु में विश्वास प्रकट करते हैं। ईस्टर संडे पर प्रभु यीशु के जन्म लेने की कहानी भी पौराणिक है आइए आपको बताते हैं ईसा मसीह के पुन जन्म लेने की यही कहानी-
जब ईसा मसीह की समाधी पर गए जल चढ़ाने
बताया जाता है कि ब्लैक फ्राइडे के दिन प्रभु ईसा मसीह ने धरती पर हो रहे पाप के लिए अपने प्राणों की बलि दी थी। ब्लैक फ्राइडे के तीसरे दिन यानी संडे को उन्होंने पुन जन्म लिया था। प्रभु यीशु की मौत के बाद उनके अनुयायी बहुत निराश थे। अचानक किसी ने दरवाजे पर खटखटाया। दरवाजा खोलने पर सामने एक औरत खड़ी थी। भीतर आकर उसने बताया कि वो और उनके साथ दो औरतें प्रभु ईसा के शव समाधि पर जल चढ़ाने गईं थीं।
जब खिसर गया समाधि से पत्थर
जल चढ़ाने गईं औरतों ने देखा कि समाधि का पत्थर खिसका और समाधि खाली हो गई। अंदर से दो देवदूत निकले जो सफेद उज्जवल वस्त्र की तरह चमक रहे थे। दनों ने बताया कि तुम लोग नाजरेथ के ईसा को ढूंढ रही हो? वे यहां नहीं है। वे अब जी उठे हैं। जाओ ये शुभ समाचार उनके शिष्यों को सुनाओ।
मेरी ने प्रभु यीशु को देखा
वहीं दूसरी और मग्दलेना समाधि के निकट रोती रहीं। उन्होंने रोते-रोते कहा, अगर आपने ईसा मसीह का शव यहां से निकाल लिया है तो कृपया बताइए कि कहां रखा है? तभी उन्हें आवाज आई - "मेरी"। ये जानी पहचानी आवाज थी। तब उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। सबसे पहले उन्होंने ही प्रभु यीशु को पुन जीवित देखा और हांपते हुए स्वर में कहा- प्रभु!
तभी से मनाने लगे ईस्टर
प्रभु ईसा ने कहा कि उनके अनुयायियों को संदेश दे दें कि वो उनसे जल्द मिलेंगे। तभी से ईस्टर पर्व को मनाया जाने लगा। ईस्टर शब्द जर्मन शब्द के ईओस्टर शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है देवी। इसके 40 दिनों के बाद तक महाप्रभु अपने शिष्यों के बीच आते रहे और उन्हें प्रोत्साहित करते रहे।
ईसाई समुदाय का विश्वास है कि आज भी महाप्रभु जीवित हैं और अपने अनुयायियों को आनंद, आशा और साहस प्रदान करते हैं। इसे ही संबल बनाकर ईसाई समुदाय के लोग सभी कष्टों को सहन करने और उनका सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।