भारत एक ऐसा देश, जहां हर क्षेत्र की ना सिर्फ अलग बोली है बल्कि अपनी अलग-अलग परम्परा भी है। भारत एक ऐसा देश, जो हर त्योहार को अलग-अलग तरीकों से मनाता है। ऐसे ही एक त्योहार का नाम है दशरहा या विजयदशमी(Dussehra-Vijayadashmi 2018)। पूरा देश इस समय नवरात्रि मना रहा है। वहीं 18 अक्टूबर को नवरात्रि के खत्म होने के बाद दशहरा (Dussehra 2018) सेलिब्रेट किया जाएगा। बुराई पर अच्छाई की जीत वाला ये त्योहार इस साल 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशहरा या विजयदशमी (Vijayadashmi Celebration) को भी देश के अलग-अलग शहरों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। जहां कुछ लोग इसे राम और रावण के युद्ध में राम की जीत के लिए मनाते हैं तो वहीं कुछ लोग इसे मां दुर्गा के महिषासुर रूप के लिए मनाते हैं। आप भी जानिए विजयदशमी और दशहरा की क्या है शुभ तिथी।
इस साल विजयदशमी और दशहरा 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस साल
विजय मुहुर्त - 1.58 दोपहर से शुरू होकर 2.43 बजे तक होगा।अप्रारहन पूजा का मुहूर्त - 1.13 दोपहर से 3.28 तक चलेगा। दशमी तिथी की शुरूआत - 3.28 दोपहर से शुरू होकर 18 तारिख तक जाएगा। वहीं दशमी तिथी 19 अक्टूबर को खत्म होगी।
यही कारण है कि इस साल विजयदशमी 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
राम ने किया रावण वध
दशहरा एक ऐसा त्योहार हैं जो पूरे देश में सबसे ज्यादा जगहों पर मनाया जाता है। भारत के नॉर्थ और कुछ साउथ के हिस्से में यह त्योहार राम और रावण के बीच हुए युद्ध का प्रतीक है। माना जाता है कि लंका के राजा रावण ने मां सीता को लंका ले गया था जिन्हें छुड़ाने के लिए राम अपनी वानर सेना के साथ लंका तक गए थे और घमंडी रावण के साथ 9 दिन तक लगातार युद्ध किया था जिसके बाद रावण का वध करके सीता मां को छुड़ाया था। विजयदशमी के दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था। यही कारण है कि नॉर्थ इंडिया में इस दिन से पहले रामलीला का मंचन किया जाता है।
मां दुर्गा ने किया महिषासुर का किया वध
वहीं बंगाली समुदाय इस विजयदशमी को मां दुर्गा का दिन मानते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये वही दिन था जब देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। महिषासुर वो राक्षस था जिसने आम लोगों का जीना नर्क बना दिया था। जिसके बाद लोगों की प्रार्थना सुन मां दुर्गा ने 10 दिन युद्ध के बाद महिषासुर का वध किया था। विजयदशमी का ये दिन मां दुर्गा के घरवापसी के दिन को समर्पित होता है। पूरे पश्चिम बंगाल और देश भर के बंगाली समुदाय इस दिन को सिंदूर खेला खेलते हैं। इस दिन औरते पूरे साजो-श्रृंगार के साथ पारंपरिक तरीके और परिधान में सिंदूर से होली खेलती हैं और मां को उनके घर वापिस भेजती हैं।
चामुंडेश्वरी की निकलती है रैली
वहीं मैसूर में इस विजयदशमी को चामुंडेश्वरी देवी के लिए मनाया जाता है। इन्हें दुर्गा का ही एक रूप बताया जाता है। विजयदशमी के दिन मैसूर के महल से चामुंडेश्वरी देवी की झांकी निकाली जाती हैं। हाथी-घोड़ो के साथ निकली इस रैली में कई हजार लोग शामिल होते हैं। सिर्फ मैसूर ही नहीं कुल्लू और बस्तर की भी विजयदशमी काफी फेमस है।