101 दिन बाद फिर से भक्तों के लिए खुलेंगे मां विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर के कपाट
By गुणातीत ओझा | Published: June 26, 2020 06:35 PM2020-06-26T18:35:32+5:302020-06-26T18:35:32+5:30
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण 20 मार्च से बंद विंध्याचल मंदिर को 101 दिनों के बाद 29 जून से खोल दिया जाएगा। मंदिर के पुजारियों ने शुकवार को बताया कि 27 जून को एकदिवसीय अखण्ड कीर्तन के पश्चात 28 जून को आरती होगी।
मिर्जापुर। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण 20 मार्च से बंद विंध्याचल मंदिर को 101 दिनों के बाद 29 जून से खोल दिया जाएगा। मंदिर के पुजारियों ने शुकवार को बताया कि 27 जून को एकदिवसीय अखण्ड कीर्तन के पश्चात 28 जून को आरती होगी। उसके बाद स्थानीय लोगों के लिए मन्दिर खोल दिया जाएगा उन्होंने बताया कि 29 जून की प्रातः मंगला आरती से मन्दिर सभी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।
इससे पूर्व पंडा समाज और नगर विधायक ने जिला प्रशासन के साथ बैठक की और मन्दिर खोलने का फैसला किया गया। बैठक में बनी सहमति के अनुसार मन्दिर में सामाजिक दूरी का पूर्णतया पालन किया जाएगा और विशिष्ट यात्रियों के लिए पण्डा समाज निःशुल्क कूपन जारी करेगा। गर्भ गृह के अंदर एक बार में अधिकतम पाँच लोग ही मौजूद रहेंगे । जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल ने बताया कि "विंध्याचल में 28 जून तक हॉटस्पॉट खत्म हो जाएगा। ऐसे में अगर विंध्य धाम के पास कोई अन्य कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति नहीं मिला तो 29 जून को मां विंध्यवासिनी का मंदिर खोल दिया जाएगाl इस दौरान शासन के नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए श्रद्धालुओं का दर्शन पूजन कराया जाएगा।
जानें मंदिर के बारे में ये जानकारियां
विन्ध्याचल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले का एक धार्मिक दृष्टिकोण से प्रसिद्ध शहर है। यहां मां विन्ध्यवासिनी देवी का मंदिर है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, मां विन्ध्यवासिनी ने महिषासुर का वध करने के लिए अवतार लिया था। यह नगर गंगा के किनारे स्थित है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जो मनुष्य इस स्थान पर तप करता है, उसे अवश्य सिद्धि प्राप्त होती है। विंध्याचल वाराणसी से 70 किमी की दूरी पर और प्रयागराज से 85 किमी दूर स्थित है, एक प्रसिद्ध धार्मिक शहर है जो देवी विंध्यवासिनी को समर्पित है।
माना जाता है कि देवी विंध्यवासिनी वृद्धावस्था की तात्कालिक सर्वश्रेष्ठ शक्ति हैं। विंध्यवासिनी देवी मंदिर मिर्जापुर से 8 किमी की दूरी पर पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित है। यह विंध्यवासिनी देवी के सबसे प्रतिष्ठित सिद्धपीठों में से एक है। मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में लोग आते हैं। चैत्र (अप्रैल) और अश्विन (अक्टूबर) महीनों में नवरात्रों के दौरान बड़ी मंडलियां आयोजित की जाती हैं। कई प्रतियोगिताएं ज्येष्ठ (जून) के महीने में आयोजित की जाती हैं। मंदिर काली खोह से सिर्फ 2 किमी दूर स्थित है।