Chhath Puja 2023: आस्था का महापर्व आज से "नहाय खाय" से हुआ शुरू, जानिए नियम

By धीरज मिश्रा | Published: November 17, 2023 06:39 AM2023-11-17T06:39:36+5:302023-11-17T06:39:36+5:30

Chhath Puja 2023: देश के विभिन्न शहरों में रहने वाले यूपी-बिहार के लोगों के लिए साल का सबसे बड़ा त्योहार है छठपूजा। यह आस्था का महापर्व 17 नवंबर यानि कि आज से शुरू हो रहा है और सोमवार 20 नवंबर तक चलेगा। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में डूबते और उगते हुए सूरज की उपासना की जाती है।

chhath puja 2023 today the first day with Nahay Khay know the rules | Chhath Puja 2023: आस्था का महापर्व आज से "नहाय खाय" से हुआ शुरू, जानिए नियम

फाइल फोटो

Highlightsनहाय खाय के साथ आस्था का महापर्व छठपूजा आज से शुरू20 नवंबर को उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने का बाद होगा पर्व का समापन पर्व के दूसरे दिन खरना से शुरू होता है निर्जल व्रत

Chhath Puja 2023: देश के विभिन्न शहरों में रहने वाले यूपी-बिहार के लोगों के लिए साल का सबसे बड़ा त्योहार है छठपूजा। यह आस्था का महापर्व 17 नवंबर यानि कि आज से शुरू हो रहा है और सोमवार 20 नवंबर तक चलेगा। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में 
डूबते और उगते हुए सूरज की उपासना की जाती है। आज इस महापर्व में नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते हुए सूरज को चौथे दिन सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है।

इसके बाद कठोर व्रत को समापन होता है। घाट पर व्रती महिलाओं के चरण स्पर्श करने की परंपरा भी है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में सूर्यदेव के साथ छठी माई की विधि-विधान के अनुसार पूजा की जाती है। जिनके घरों में छठ महापर्व होता है वह सालभर इस त्योहार का इंतजार करते हैं और पूरी विधि विधान के अनुसार पर्व को मनाते हैं।

घरों में इस दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। 15 दिन पहले से घर के अंदर प्याज, लहसुन खाने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। साथ ही इन चीजों को मुंह से कहने पर भी पाबंदी होती है। इस महापर्व के पीछे मान्यता है कि इसे करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है। घर में सुख-समृद्धि के साथ संतान प्राप्ति के लिए यह कठोर व्रत किया जाता है।

छठपूजा में पहले दिन क्या होता है

नहाय खाय के साथ महापर्व छठ पूजा के पहले दिन की शुरुआत हो गई है। गांवों में आज छठ पूजा करने वाली महिलाएं पास के तालाब में जाकर नहाती हैं और सूर्यदेव अर्घ्य देती हैं। वहीं दिल्ली-एनसीआर में यमुना नदी में व्रती सूर्यदेवता की उपासना करती हैं। इसके बाद घर आकर छठी मईयां की कहानी परिवार के साथ सुनते हैं और दूसरी महिलाएं भी व्रती के पास आकर कथा को सुनने के लिए आती हैं। इसके बाद व्रती को परिवार के लोग सात्विक भोजन देते हैं।

व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के अन्य सदस्य खाना खाते हैं। पर्व के दूसरे दिन खरना होता है। जिसमें व्रती महिलाएं खरना करती हैं शाम को पारण किया जाता है। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य को व्रती प्रसाद देती हैं। यहीं से व्रती का शुरू होता है निर्जल व्रत। महिलाएं तीसरे दिन छठ घाट पर पानी में डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देती हैं और फिर घाट से वापिस घर लौटती हैं। इस दौरान व्रती के लिए अलग से बिस्तर किया जाता है। जहां व्रती सोती हैं। इसके बाद व्रत के चौथे दिन व्रती नहाती हैं और सुबह सुबह छठ घाट पर जाती हैं। यहां सूबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर वह अपना 36 घंटों से चले आ रहे निर्जल व्रत का समापन करती हैं।

एक नजर में जानिए किस दिन क्या है 
17 नवंबर को छठपूजा में नहाय-खाय के साथ शुरुआत
18 नवंबर को खरना, व्रती पारण करने के बाद रखती हैं निर्जल व्रत
19 नवंबर को छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते हुए सूरज को अर्घ्य 
20 नवंबर को छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य

 

क्यों खास है यह पर्व

आस्था का महापर्व छठ पूजा खास इसलिए है क्योंकि इस पर्व में डूबते हुए सूरज की आराधना की जाती है। आमतौर पर लोग उगते हुए सूरज को जल चढ़ाकर उनकी आराधना करते हैं। लेकिन, इस पर्व की खूबसुरती है कि डूबते और उगते हुए सूरज की आराधना की जाती है। यूं तो बिहार-यूपी में मनाया जाने वाला यह त्योहार आज देश के अलावा विदेशों में भी मनाया जाता है।

Web Title: chhath puja 2023 today the first day with Nahay Khay know the rules

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