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Chhath Puja 2021: नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व, कल इतने बजे तक रहेगा खरना

By रुस्तम राणा | Updated: November 8, 2021 09:47 IST

आज नहाय-खाय पर सुबह स्नान कर नए वस्त्र पहने जाते हैं। महिलाएं माथे पर सिंदूर लगाकर घर की साफ सफाई करती हैं। छठ के प्रसाद और पकवान को मिट्टी के चूल्हे में तैयार किया जाता है। पकवान में भात कद्दू यानी लौकी की सब्जी बनती है। घर के सभी लोग यही भोजन करते हैं।

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छठ महापर्व आज से शुरू हो गया है। यह त्योहार नहाए खाय के साथ शुरू होता है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का आज पहला दिन है। कल 9 नवंबर को खरना है। फिर 10 नवंबर को अस्त चलगामी सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और उसकी अगली सुबह 11 नवंबर को उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन होगा। हर साल दिवाली के छह दिनों बाद छठ मनाने की परंपरा है। अपनी लोकप्रियता के चलते यह लोक पर्व आज दुनियाभर में अपनी पहचान को बनाए हुए है। नहाय-खाय के दिन कद्दू भात का प्रसाद बनाकर ग्रहण किया जाता है।

छठ का पहला दिन नहाय-खाय

छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय पर सुबह स्नान कर नए वस्त्र पहने जाते हैं। महिलाएं माथे पर सिंदूर लगाकर घर की साफ सफाई करती हैं। छठ के प्रसाद और पकवान को मिट्टी के चूल्हे में तैयार किया जाता है। पकवान में भात कद्दू यानी लौकी की सब्जी बनती है। घर के सभी लोग यही भोजन करते हैं। छठ का मुख्य प्रसाद ठेकुआ बनाया जाता है।

कल खरना का समय

खरना का समय 9 नवंबर को सायं 5 बजकर 45 मिनट से शाम 6 बजकर 25 मिटन तक रहेगा। वहीं सायंकालीन अर्घ्य देने का समय शाम 4 बजकर 30 मिनट से 5 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।

कठिन होता है छठ पूजा का व्रत

छठ पूजा का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत 36 घंटों के लिए रखा जाता है। इस अवधि में व्रती को बिना कुछ खाय-पीये रहना पड़ता है। इस पूजा में मन्नत के लिए कुछ लोग जमीन पर बार-बार लेटकर, कष्‍ट सहते हुए घाट की ओर जाते हैं। 

छठ पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि छठी मैया संतान की रक्षा करने वाली देवी हैं और सूर्य की उपासना करने से मनुष्‍य को सभी तरह के रोगों से छुटकारा मिल जाता है। जो सूर्य की उपासना करते हैं, वे दरिद्र, दुखी, शोकग्रस्‍त और अंधे नहीं होते हैं। संतान की रक्षा, दीर्घायु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद पाने के लिए यह पूजा की जाती है। 

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