Chhath Puja 2019: जानें कब है छठ पूजा, पढ़ें नहाय-खाय से लेकर खरना और अर्घ्य तक की पूजा विधि
By मेघना वर्मा | Published: October 8, 2019 10:12 AM2019-10-08T10:12:41+5:302019-10-08T10:12:41+5:30
चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में लोग सूर्य देव की उपासना करते हैं। सिर्फ छठ पूजा में बहुत में ही सारी रिति-रिवाज को निभाया जाता है।
छठ की पूजा उत्तर भारत में मनाये जाने वाले कुछ सबसे बड़े पर्वों में से एक है। चार दिनों तक चलने वाली इस पूजा को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। सूर्य देव और छठी मईया की पूजा को हिन्दू धर्म के कुछ सबसे कठिन व्रतों में भी गिना जाता है। जिसकी शुरूआत नहाए-खाए से होती है और दूसरे दिन खरना विधि और फिर अर्घ्य से समाप्ती होती है।
ऐसे पड़ा 'छठ' नाम
छठ का मतलब होता है छह। नेपाली और हिंदी दोनों ही भाषाओं में छठ का मतलब छठवां या छह होता है। छठ का ये त्योहार कार्तिक पूर्णिमा के छठवें दिन मनाया जाता है इसीलिए इस त्योहार को लोग छठ बुलाते हैं।
इस साल छठ का ये पर्व 31 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। 31 अक्टूबर को नहाय-खाए से इस महा-पर्व की शुरूआत हो जाएगी। वहीं एक नवंबर को खरना विधी के बाद दो नवंबर को पहला संध्या अर्घ्य और तीन नवंबर को ऊषा अर्घ्य और पारण है। चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में लोग सूर्य देव की उपासना करते हैं। सिर्फ छठ पूजा में बहुत सारी रिति-रिवाज को निभाया जाता है।
क्रं. | छठ | दिनांक |
1. | नाहाय-खाय | 31 अक्टूबर |
2. | खरना | 1 नवंबर |
3. | संध्या अर्घ्य | 2 नवंबर |
4. | ऊषा अर्घ्य और पारण | 3 नवंबर |
नहाय-खाय
छठ के पहले दिन यानी नहाय खाय में भक्त गंगा या किसी पवित्र नदीं में स्नान करते हैं। इसके बाद अपने लिए पूरा खाना तैयार करते हैं। लौकी-भात और चना की दाल खाते हैं। इन सभी साम्रगियों को मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। इस खाने को खाकर महिलाएं खाकर खुद को व्रत के लिए तैयार करती हैं।
खरना
छठ के दूसरे दिन भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को सूर्य अस्त होने के बाद खीर और रोटी का सेवन करते हैं। खीर और रोटी का सेवन इसी व्रत के अंतर्गत ही आता है।
संध्या अर्घ्य
छठ के तीसरे दिन घर पर प्रसाद तैयार किया जाता है। बहुत सारी सामग्रियों के साथ इस प्रसाद को तैयार किया जाता है। इसके बाद इसे सूर्य भगवान को दिखाया जाता है। इस मौके पर महिलाएं ज्यादातर साड़ियां पहनती हैं। शाम को सभी छठी मईया के गाने और भजन गाते हैं।
ऊषा अर्घ्य
छठ के चौथे दिन भक्त सूर्य उगने से पहले ही गंगा घाटों या नदी के घाटों पर आ जाती हैं। साथ ही उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसी दिन महिलाएं अपने 36 घंटे के व्रत का पारण करती हैं।