Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पांचवें दिन होती है स्कंदमाता की पूजा, जानें संपूर्ण विधि, मंत्र एवं आरती

By रुस्तम राणा | Published: March 25, 2023 03:00 PM2023-03-25T15:00:05+5:302023-03-25T15:00:05+5:30

नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा का विधान है। देवी स्कंदमाता माँ दुर्गा की पांचवीं शक्ति के रूप में जानी जाती हैं।

Chaitra Navratri 2023 day 5 maa Skandmata puja vidhi mantra arti katha | Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पांचवें दिन होती है स्कंदमाता की पूजा, जानें संपूर्ण विधि, मंत्र एवं आरती

Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पांचवें दिन होती है स्कंदमाता की पूजा, जानें संपूर्ण विधि, मंत्र एवं आरती

Chaitra Navratri 5th Day 2023:चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन (26 मार्च, रविवार) स्कंदमाता की आराधना होती है। स्कंदमाता माँ दुर्गा की पांचवीं शक्ति के रूप में जानी जाती हैं। माता का पांचवां रूप मातृत्व को परिभाषित करता है। धार्मिक मान्यता है कि जो कोई भक्त नवरात्रि में स्कंदमाता की पूजा करता है मां उसकी मुरादें शीघ्र पूरी करती हैं। माता रानी अपने भक्तों को संतान की अच्छी सेहत और दीर्घायु का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। 

स्कंदमाता की पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर व्रत और पूजा का संकल्प लें। 
माँ को गंगाजल से स्नान करा कर वस्त्र अर्पित करें। 
माँ को श्रृंगार अर्पित करें। 
उन्हें सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप-दीप, पुष्प, फल प्रसाद आदि से देवी की पूजा करें। 
उन्हें केले और इलायची का भोग लगाएं। 
मंत्र सहित मां की आराधना करें, उनकी कथा पढ़ें और अंत में आरती करें।  

स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता 
पांचवां नाम तुम्हारा आता

सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं

कई नामों से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा

कही पहाड़ों पर हैं डेरा
कई शहरों में तेरा बसेरा

हर मंदिर में तेरे नजारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे

भगति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो

इंद्र आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं
तुम ही खंडा हाथ उठाएं

दासो को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुजाने आई

स्कंदमाता की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक तारकासुर नामक राक्षस था। अपनी कठोर तपस्या के बल पर उसने ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरता का वरदान मांगा लेकिन, ब्रह्मा जी ने उसे समझाया कि जिसका जन्म हुआ है उसे मरना ही होगा। फिर तारकासुर ने निराश होकर ब्रह्मा जी से कहा कि प्रभु ऐसा कर दें कि शिवजी के पुत्र के हाथों ही उसकी मृत्यु हो। उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह सोचता था कि कभी-भी शिवजी का विवाह नहीं होगा तो उनका पुत्र कैसे होगा। इसलिए उसकी कभी मृत्यु नहीं होगी। फिर उसने लोगों पर हिंसा करनी शुरू कर दी। हर कोई उसके अत्याचारों से परेशान था। सब परेशान होकर शिवजी के पास पहुंचे। उन्होंने शिवजी से प्रार्थना की कि वो उन्हें तारकासुर से मुक्ति दिलाएं। तब शिव ने पार्वती से विवाह किया और कार्तिकेय का जन्म हुआ। बड़े होने के बाद कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। स्कंदमाता कार्तिकेय की माता हैं।
 

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