बिहार का एक अजूबा मंदिर जहां रात में मूर्तियां आपस में बात करती हैं! आखिर क्या है इसकी कहानी, जानिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 6, 2020 08:23 AM2020-02-06T08:23:34+5:302020-02-06T08:23:34+5:30
बिहार के बक्सर में स्थित मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर का निर्माण करीब 400 साल पहले हुआ था। इसका निर्माण एक तांत्रिक ने कराया था।
भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जिसे लेकर असामान्य घटनाओं वाली कहानियां प्रचलित हैं। इन्ही में से एक तंत्र साधना के लिए मशहूर मां राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर भी है। यह मंदिर बिहार के बक्सर में स्थित है। इस मंदिर को लेकर ऐसा विश्वास है कि यहां देवियों की मूर्तियां आपस में बातें करती हैं।
ये आपको सुनने में थोड़ा अजीबोगरीब लग सकता है लेकिन इस मंदिर को लेकर मान्यता यही है। कई लोग ऐसा दावा करते हैं कि उन्होंने रात में मंदिर के कपाट बंद होने के बाद कुछ लोगों के बात करने की आवाजें अंदर से सुनी हैं।
400 साल पुराना मंदिर, तंत्र साधना के लिए है मशहूर
मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर का निर्माण बिहार के बक्सर में करीब 400 साल पहले हुआ था। यह मंदिर तंत्र साधना के लिए भी काफी मशहूर है। इस कारण तांत्रिकों की इस मंदिर में काफी गहरी आस्था है।
आम लोग भी के मन में भी इस मंदिर को लेकर गहरी आस्था है। मान्यता है कि यहां आने वाले साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। नवरात्र के दिनों में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती है।
मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर में आपस में बात करती हैं मूर्तियां!
यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि मध्य रात्रि में चारों ओर सन्नाटा पसर जाता है, तब मंदिर के अंदर से किसी के बोलने और फुसफुसाने की आवाजें सुनाई देती हैं। इस मंदिर के बाहर खड़े लोग इसे साफ तौर पर सुन भी भी सकते हैं। इस मंदिर से आने वाली आवाजों पर पुरातत्व विज्ञानियों ने भी अध्ययन और शोध किया है लेकिन अभी तक कोई नतीजा या कारण सामने नहीं आ सका है।
इस मंदिर में दस महाविद्याओं वाली काली, त्रिपुर भैरवी, धुमावती, तारा, छिन्न मस्ता, षोडसी, मातंगड़ी, कमला, उग्र तारा, भुवनेश्वरी सहित बंगलामुखी माता, दत्तात्रेय भैरव, बटुक भैरव, अन्नपूर्णा भैरव, काल भैरव और मातंगी भैरव की प्रतिमा स्थापित है।
तांत्रिक ने कराया था मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर का निर्माण
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इसका निर्माण प्रसिद्ध तांत्रिक भवानी मिश्र ने कराया था। आज भी इस मंदिर के पुजारी उन्हीं के परिवार के सदस्य हैं।
बताया जाता है कि तंत्र साधना के लिए बिहार का ये इकलौता मंदिर है जो इतना प्रसिद्ध है। चूकी ये तांत्रिक मंदिर है, इसलिए एक दिलचस्प बात ये भी है कि यहां कलश स्थापना का विधान नहीं है। तंत्र साधना से ही यहां माता की प्राण प्रतिष्ठा की गई है।