Basant Panchami: बसंत पंचमी पर होती है कामदेव की भी पूजा, आखिर क्या है मान्यता और कहानी, जानिए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 27, 2020 02:00 PM2020-01-27T14:00:22+5:302020-01-27T14:02:50+5:30

बसंत पंचमी: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती के साथ-साथ कामदेव की भी पूजा होती है।

Basant Panchami 2020 why Kamdev and Devi Rati is worshiped this day, significance and story | Basant Panchami: बसंत पंचमी पर होती है कामदेव की भी पूजा, आखिर क्या है मान्यता और कहानी, जानिए

बसंत पंचमी पर होती है कामदेव की भी पूजा

Highlightsबसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के साथ कामदेव को भी पूजने की है परंपराकामदेव के साथ-साथ उनकी पत्नी देवी रति की भी होती है पूजा, काम के स्वामी हैं कामदेव

Basant Panchami: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को लेकर एक आम मान्यता यही है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मां सरस्वती को संगीत और ज्ञान की देवी कहा गया है। इस दिन को बसंत पंचमी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है।

वैसे, बसंत पंचमी को लेकर एक खास बात ये है कि इस दिन कामदेव की भी पूजा करने की परंपरा है। हिंदू धर्म में कामदेव को काम का स्वामी माना गया है। ये अगर नहीं हों तो सृष्टि की उन्नति रूक जाए और प्रेम का भाव खत्म हो जाएगा। इसलिए कामदेव को विशेष स्थान प्राप्त है।

Basant Panchami: बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा क्यों?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बसंत दरअसल कामदेव के मित्र हैं। इस ऋतु में मौसम सुहाना हो जाता है। प्रकृति में भी एक अलग सौन्दर्य नजर आता है। मनुष्य इस मौसम में अधिक प्रसन्न दिखाई देते हैं और हर ओर उल्लास का वातावरण होता है।

इसलिए प्रेम के लिहाज से ये मौसम बहुत अनुकूल होता है। ऐसा कहा जाता है कि पुराने जमाने में बसंत पंचमी के दिन राजा हाथी पर बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए देवालय पहुंचते थे और कामदेव की पूजा करते थे। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कामदेव का धनुष फूलों से बना हुआ है। वे जब तीर छोड़ते हैं तो देवता भी इससे नहीं बच पाते। इनके बाणों से बचने के लिए कोई कवच नहीं है।

कामदेव का बाण सीधे हृदय पर वार करता है जिससे व्यक्ति में काम भाव का जन्म होता है। इस काम में कामदेव की पत्नी रति भी सहायता करती हैं। इसलिए कामदेव के साथ-साथ देवी रति को भी पूजने की परंपरा है। बसंत पंचमी को लेकर एक मान्यता ये भी है कि शिवरात्रि से पहले इसी दिन भगवान शिव का तिलकोत्सव हुआ था।

Basant Panchami: कामदेव कौन हैं 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कामदेव भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र हैं। इनका विवाह देवी रति से हुआ है। देवी रति प्रेम और आकर्षण की देवी मानी गई हैं। कुछ कथाओं में ये भी कहा गया है कि कामदेव दरअसल ब्रह्माजी के पुत्र हैं। कामदेव के रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मदन, पुष्पवान आदि कई नाम हैं। 

कहां रहते हैं कामदेव

यौवनं स्त्री च पुष्पाणि सुवासानि महामते:।
गानं मधुरश्चैव मृदुलाण्डजशब्दक:।।
उद्यानानि वसन्तश्च सुवासाश्चन्दनादय:।
सङ्गो विषयसक्तानां नराणां गुह्यदर्शनम्।।
वायुर्मद: सुवासश्र्च वस्त्राण्यपि नवानि वै।
भूषणादिकमेवं ते देहा नाना कृता मया।।

मान्यता है कि कामदेव महिलाओं की आंख सहित यौवन, खूबसूरती, फूलों के रस, खूबसूरत बाग-बगीचे, पक्षियों की मीठी आवाज, छुपे हुए अंगों, मनोहर स्थानों, नये कपड़ो और गहनों आदि में बसते हैं। 

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