Barsana Lathmar Holi 2024: अंग्रेज कलेक्टर ग्राउस ने 1877 को देखी बरसाना की लठमार होली, आखिर क्या है महत्व

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 16, 2024 01:27 PM2024-03-16T13:27:54+5:302024-03-16T13:28:28+5:30

Barsana Lathmar Holi 2024: ब्रज  में होली की विधिवत शुरुआत  बरसाना-नन्दगांव की लठामार होली से ही होती है औऱ दाऊजी के हुरंगा के साथ 'ढप धर दै यार गयी पर की...।'

Barsana Lathmar Holi 2024 British Collector fs Grous witnessed Barsana's Lathmar Holi on 22 February 1877, what is its significance? | Barsana Lathmar Holi 2024: अंग्रेज कलेक्टर ग्राउस ने 1877 को देखी बरसाना की लठमार होली, आखिर क्या है महत्व

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Highlightsब्रज के इस अनुपम प्रेम में सराबोर हो अपनी सुधबुध खो बैठता है।22 फरवरी 1877 को  घोड़ सवारी करते हुए बरसाना की लठमार होली देखने आए।मिस्टर ग्राउस ने जिस स्थान से होली देखी, यह स्थान आज भी कटारा हवेली के नाम से  विख्यात है।

विवेक दत्त मथुरिया, बरसानाः मथुरा के अंग्रेज कलेक्टर एफएस ग्राउस भी बरसाना की लठमार होली की एक झलक पाने के लिए घोड़े पर सवार होकर बरसाना पहुंचे। उन्होंने होली के आंखों देखे हाल का वर्णन अपने शोधपरक ग्रंथ 'डिस्ट्रिक्ट मेमोयर ऑफ मथुरा' में किया है।  राधकृष्ण कालीन  अलौकिक प्रेम की इस परंपरा का आकर्षण ही कुछ ऐसा है। फागुन में  ब्रज में चालीस दिन का होली के रूप में अनुराग महोत्सव बड़े ही उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। ब्रज  में होली की विधिवत शुरुआत  बरसाना-नन्दगांव की लठामार होली से ही होती है औऱ दाऊजी के हुरंगा के साथ 'ढप धर दै यार गयी पर की...।'

 के संबोधन के साथ संपन्न होती है। हर किसी यह इच्छा रहती है कि जीवन में एक बार एक झलक बरसाना नंदगांव की लठमार होली की मिल जाए। जो एक बार नंदगांव-बरसाने के हुरियारे और हुरियारिनों के बीच होने वाली लठमार होली की झलक  पा लेता है वह ब्रज के इस अनुपम प्रेम में सराबोर हो अपनी सुधबुध खो बैठता है।

मथुरा राजकीय संग्रहालय के संस्थापक और तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर एफएस ग्राउस भी 22 फरवरी 1877 को  घोड़ सवारी करते हुए बरसाना की लठमार होली देखने आए। मिस्टर ग्राउस ने जिस स्थान से होली देखी, यह स्थान आज भी कटारा हवेली के नाम से  विख्यात है।

बरसाना के सांस्कृतिक इतिहास के जानकार योगेंद्र सिंह छौंकर बताते हैं कि इस हवेली का निर्माण भरतपुर रियासत के कूटनीतिज्ञ व राजपुरोहित रूपराम कटारा ने कराया। उस समय इसी स्थान को होली के वीआईपी चौक के नाम से जाना जाता था । अंग्रेज कलेक्टर ग्राउस ने अगले दिन 23 फरवरी को नंदगांव की होली भी देखी।

ग्राउस ने बरसाना की होली के का आंखों देखे  हाल का  विस्तार से वर्णन मथुरा मेमोयर' में किया।  ग्राउस ने नंदगांव बरसाना के हुरियारे और हुरियारिनों के बीच लठामार होली शुरू होने से पहले गाली युक्त हंसी-ठिठोली के ब्रज के परम्परागत  नृत्य का वर्णन किया है। हुरियारिनों के लाठी के तेज प्रहारों से बचाव के लिए हुरियारे ढाल, डंडों के अलावा बारहसिंघा हिरन के सींग लिए बताए हैं। ग्राउस ने हास-परिहास के रुप मे छंद साखियों का भी विस्तार से उल्लेख किया है ।

Web Title: Barsana Lathmar Holi 2024 British Collector fs Grous witnessed Barsana's Lathmar Holi on 22 February 1877, what is its significance?

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