अस्त्र-शस्त्र एक नहीं, दो अलग शब्द हैं, जानें अस्त्र और शस्त्र में क्या है अंतर

By गुलनीत कौर | Published: October 18, 2018 12:28 PM2018-10-18T12:28:23+5:302018-10-18T12:28:23+5:30

पुराणों में धनुष को शस्त्र और उससे निकलने वाले बाण को अस्त्र कहा जाता था। 

Ayudha puja on Dussehra 2018: astra and shastra, definition, significance, types of astra and shastra | अस्त्र-शस्त्र एक नहीं, दो अलग शब्द हैं, जानें अस्त्र और शस्त्र में क्या है अंतर

अस्त्र-शस्त्र एक नहीं, दो अलग शब्द हैं, जानें अस्त्र और शस्त्र में क्या है अंतर

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों एवं स्मृतियों से हमें ऐसे कई शब्द एवं नामावली प्राप्त होती हैं जिसे जनमानस द्वारा उपयोग में तो लाया जाता है, लेकिन उनका असल अर्थ क्या है, यह कोई विरला ही जानता है। इन्हीं शब्दों में से एक है अस्त्र-शस्त्र। अमूमन लोगों को यह लगता है कि यह एक ही शब्द है और इनका मतलब बस हथियारों से है। लेकिन ऐसा नहीं हैं।

क्या है अस्त्र-शस्त्र?

यह दो अलग अलग शब्द हैं। अस्त्र अलग है और शस्त्र, अस्त्र से काफी अलग है। हां दोनों का ही उपयोग युद्ध में किया जाता है या यूं कहें कि प्रहार करने के लिए किया जाता है, परंतु अस्त्र, शस्त्र की परिभाषा की बात करें तो दोनों में बड़ा अंतर है।

अस्त्र और शस्त्र में अंतर

अस्त्र: किसी मंत्र, तंत्र या यंत्र का जाप करते हुए जब किसी हथियार को हाथ से दूर फेंका जाए तो वह अस्त्र है। पुराणों में ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र, गरूड़ास्त्र, ये सभी अस्त्रों के नाम हैं। कहा जाता है कि महाभारत के समय में पाशुपतास्त्र सबसे शक्तिशाली अस्त्र था, जो केवल अर्जुन के पास था। यदि इसका इस्तेमाल किया जाता तो यह अस्त्र पूरी सृष्टि की सर्वनाश कर सकता था।

शस्त्र: पुराणों में शस्त्र उन्हें कहा जाता था जो हाथ में पकड़ते हुए चलाए जाते थे। अस्त्रों की तरह इन्हें दूर नहीं फेंका जाता था। ये शस्त्र दुश्मन पर सीधा प्रहार करने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। इनसे दुश्मन का वध करके उसे मृत्यु दिलाई जाती थी। तलवार, परशु, गदा, त्रिशूल, बरछा, ये सभी शास्त्रों की श्रेणी में आते थे। इन सभी को हाथ में पकड़कर दुश्मन पर प्रहार किया जाता था।

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क्या है अस्त्र, क्या है शस्त्र

पौराणिक कहानियों में आपने अक्सर उन हथियारों के बारे में सुना होगा जहां किसी पौराणिक पात्र ने मंत्र का जाप करते हुए अपने धनुष से बाण छोड़ा और यह बाण हवा में जाकर दुश्मन द्वारा फेंके गए बाण से भीड़ गया। फिर एक चिंगारी उठी, आग निकली, धुआं हुआ या कोई बड़ा विस्फोट हुआ। इसके अलावा ऐसे बाण भी होते थे जो हवा में आए सर्पों को भस्म कर दिया करते थे। 

किन्तु हाथ में गदा लेकर दुश्मन के साथ युद्ध करना। तलवारबाजी करते हुए अपनी कौशल से युद्ध को जीतना। ये सभी शस्त्र कहलाते थे। लेकिन कुछ जगहों पर अस्त्र और शस्त्र का मिलन भी हुआ, पुराणों में धनुष को शस्त्र और उससे निकलने वाले बाण को अस्त्र कहा जाता था। 

Web Title: Ayudha puja on Dussehra 2018: astra and shastra, definition, significance, types of astra and shastra

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