Amalaki Ekadashi 2022 Date: आमलकी एकादशी कब है? जानें तिथि, मुहूर्त, वर्त विधि, महत्व और कथा

By रुस्तम राणा | Updated: March 4, 2022 15:05 IST2022-03-04T15:05:21+5:302022-03-04T15:05:21+5:30

जो भक्त आमलकी एकादशी के दिन विधि पूर्वक व्रत रखकर भगवान श्री हरि विष्णु और आंवला की पूजा करते हैं उनकी समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और अंत में उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।

Amalaki Ekadashi 2022 Date muhurat timing vrat vidhi significance and katha | Amalaki Ekadashi 2022 Date: आमलकी एकादशी कब है? जानें तिथि, मुहूर्त, वर्त विधि, महत्व और कथा

Amalaki Ekadashi 2022 Date: आमलकी एकादशी कब है? जानें तिथि, मुहूर्त, वर्त विधि, महत्व और कथा

आमलकी एकादशी व्रत 14 मार्च 2022, सोमवार को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं, इसे आवंला, रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आमलकी एकादशी दिन के दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के वृक्ष की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त आमलकी एकादशी के दिन विधि पूर्वक व्रत रखकर भगवान श्री हरि विष्णु और आंवला की पूजा करते हैं उनकी समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और अंत में उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है और इस बार तो आमलकी एकादशी के दिन सर्वाथ सिद्धि योग भी बन रहा है।

आमलकी एकादशी मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ - 13 मार्च की सुबह 10 बजकर 24 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त - 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 8 मिनट पर
सर्वाथ सिद्धि योग - 14 मार्च सुबह 06.32 मिनट से रात्रि 10.08 मिनट तक 
व्रत का पारण - 15 मार्च को सुबह 06.31 मिनट से सुबह 08.55 मिनट तक 

आमलकी एकादशी व्रत विधि

सुबह जल्दी उठकर गंगा जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद भगवान विष्णु जी की पूजा करें। 
अब पूजन सामग्री लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करें। 
वृक्ष के चारों की भूमि को साफ करें और उसे गाय के गोबर से पवित्र करें।
पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करें। 
इस कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें।
कलश में सुगंधी और पंच रत्न रखें। इसके ऊपर पंच पल्लव रखें फिर दीप जलाकर रखें। 
कलश पर श्रीखंड चंदन का लेप करें और वस्त्र पहनाएं।  
अंत में कलश के ऊपर श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करें
विधिवत रूप से परशुरामजी की पूजा करें।  
रात्रि में भगवत कथा व भजन-कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें। 
द्वादशी के दिन व्रत पारण के पश्चात अन्न जल ग्रहण करें।  

आमलकी एकादशी व्रत का महत्व

पौराणिक शास्त्रों में आंवला वृक्ष भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। इसके हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है। मान्यता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवला और श्री हरि की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आमलकी एकादशी व्रत कथा 

प्राचीन काल में चित्रसेन नामक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में एकादशी व्रत का बहुत महत्व था और सभी प्रजाजन एकादशी का व्रत करते थे। वहीं राजा की आमलकी एकादशी के प्रति बहुत श्रद्धा थी। एक दिन राजा शिकार करते हुए जंगल में बहुत दूर निकल गये। तभी कुछ जंगली और पहाड़ी डाकुओं ने राजा को घेर लिया। इसके बाद डाकुओं ने शस्त्रों से राजा पर हमला कर दिया। मगर देव कृपा से राजा पर जो भी शस्त्र चलाए जाते वो पुष्प में बदल जाते।

डाकुओं की संख्या अधिक होने से राजा संज्ञाहीन होकर धरती पर गिर गए। तभी राजा के शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई और समस्त राक्षसों को मारकर अदृश्य हो गई। जब राजा की चेतना लौटी तो, उसने सभी राक्षसों का मरा हुआ पाया। यह देख राजा को आश्चर्य हुआ कि इन डाकुओं को किसने मारा? तभी आकाशवाणी हुई- हे राजन! यह सब राक्षस तुम्हारे आमलकी एकादशी का व्रत करने के प्रभाव से मारे गए हैं। तुम्हारी देह से उत्पन्न आमलकी एकादशी की वैष्णवी शक्ति ने इनका संहार किया है। इन्हें मारकर वे पुन: तुम्हारे शरीर में प्रवेश कर गईं। यह सुनकर राजा प्रसन्न हुआ और वापस लौटकर राज्य में सबको एकादशी का महत्व बतया।

Web Title: Amalaki Ekadashi 2022 Date muhurat timing vrat vidhi significance and katha

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे