एग्जाम रिजल्ट बुरा आने पर भी बच्चों से ना कहें ये 5 बातें, अंजाम होगा बुरा
By गुलनीत कौर | Published: April 19, 2018 12:02 PM2018-04-19T12:02:45+5:302018-04-19T12:02:45+5:30
कम नंबर आने पर गुस्से में बच्चों से यह सवाल करना कि अब तुम क्या करोगे, किस फील्ड में पढ़ाई करोगे, कम नंबर में तुम्हें कहीं एडमिशन नहीं मिलेगा, यह उनके आत्मविश्वास को चूर-चूर करता है।
हर बच्चे के अभिभावकों की यह चाहत होती है कि उनका बच्चा पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करे। आज के मॉडर्न जमाने में पेरेंट्स पढ़ाई के साथ खेल-कूद और अन्य एक्टिविटी को भी अहमियत देते हैं। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि वे चाहते हैं कि बच्चे अन्य एक्टिविटी से अधिक रूचि शिक्षा में एलन और इस क्षेत्र में दूसों से आगे निकल सकें। मार्च और अप्रैल का महीना बच्चों के एग्जाम और फिर उसके बाद आने वाले रिजल्ट के इन्तजार का होता है। इस समय बोर्ड एग्जाम दी चुके विद्यार्थियों की सबसे बड़ी चिंता उनका रिजल्ट ही है। विद्यार्थियों के साथ पेरेंट्स भी चिंतित हैं कि उनके बच्चे का रिजल्ट कैसा होगा।
बढ़ते कम्पटीशन के कारण सभी पेरेंट्स के दिमाग में एक बात बैठ चुकी है कि अगर बच्चों के नंबर अच्छे ना आए तो उसका एडमिशन अच्छी स्कूल या कॉलेज में नहीं होगा और इसी कारण आगे जा कर वह अच्छी जॉब नहीं पायेगा। केवल कम मार्क्स के कारण वे खुद भी टेंशन में आते हैं और अपना मानसिक प्रेशर बच्चों पर बनाकर उनपर हावी हो जाते हैं। मनोविज्ञान एक्सपर्ट डॉ. अभिनव मोंगा का कहना है कि 'एग्जाम के दिनों में और उसके बाद जब तक रिजल्ट नहीं आता है, इस दौरान बच्चों में मानसिक तनाव काफी बढ़ जाता है। ऐसे में जब पेरेंट्स भी अपनी चिंताओं को उनपर थोपने लगते हैं तो बच्चे कई बार डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं और यही कारण है कि हम आजकल बोर्ड रिजल्ट में कम मार्क्स आने के चलते सुसाइड जैसी खबरें सुन रहे हैं'। ऐसा ना हो इसके लिए पेरेंट्स को ध्यान में रखनी चाहिए ये 5 बातें, आइए जानते हैं क्या:
1. शांत रहें
पेरेंट्स को बच्चों की चिंता होती है यह सही है, लेकिन अपनी चिंता के चलते तनाव को खुद पर और अपने बच्चों पर भी हावी ना होने दें। अगर बच्चे के नंबर अच्छी नहीं आए हैं तो उसे सामने बिथ्कार उससे सहज तरीके से सवाल करें, कारण जानें। लेकिन चिल्लाने या गुस्से करने से किसी भी बता का हल नहीं निकलेगा।
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2. सोच को बदलें
एक एग्जाम के मार्क्स अगर जिंदगी बना सकते या बिगाड़ सकते तो आज बड़े-बड़े उद्योगपति सगालता के इस शिखर पर ना होते। एग्जाम के बुरे मार्क्स को कभी भी बच्चे के फ्यूचर से ना जोड़ें। हो सकता है कि इस बार नंबर कम आएं हैं लेकिन अगली बार ज्यादा भी आ सकते हैं।
3. बच्चों का सहारा बनें
साइकेट्रिस्ट अभिनव मोंगा ने बताया कि एग्जाम से पहले आपके बच्चे पढ़ायी कर रहे हैं या नहीं, सीरियसली तैयारी कर रहे हैं या नहीं, अगर पेरेंट्स ने इन बातों का ध्यान नहीं दिया है तो बुरा रिजल्ट आने पर उन्हें बच्चों का डांटने का भी हक नहीं है। कम मार्क्स आने पर पेरेंट्स को बच्चे का सपोर्ट सिस्टम बनना चाहिए। बुरे रिजल्ट के पीछे का कारण खोजें और फिर आगे बढ़ें।
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4. अपने बच्चे को जानें
इस तरह हाथों की सभी उंगलियाँ एक जैसी नहीं होती हैं, उसी तरह से सभी बच्चे अच्छा प्रदर्शन करें यह भी जरूरी नहीं। हर विद्यार्थी की अपनी सक्षमता होती है और वह उसी के अनुसार काम करता है। पेरेंट्स को यह जरूर समझना चाहिए। डॉ। मोंगा के अनुसार पेरेंट्स को भूल से भी अपने बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से बच्चे का आत्मविश्वास और भी गिर जाता है। केवल अपने बच्चे की सक्षमता को पहले समझें।
5. खुद के सपनों को ना थोपें
कम नंबर आने पर गुस्से में बच्चों से यह सवाल करना कि अब तुम क्या करोगे, किस फील्ड में पढ़ाई करोगे, कम नंबर में तुम्हें कहीं एडमिशन नहीं मिलेगा। इस तरह के सवाल उनके आत्मविश्वास को तो चूर-चूर करते ही हैं, साथ ही उन्हें गलत फैसला लेने पर भी मजबूर कर देते हैं। एग्जाम रिजल्ट आते ही उनसे ऐसे सवाल ना करें। मानसिक तनाव कुछ समय बाद कम होने पर ही इस मुद्दे पर बात करें।