झारखंड में बिना शादी किए साथ में रहते हैं हजारों जोड़े, जानिए लोग क्यों करते हैं 'ढुकु विवाह'?

By मनाली रस्तोगी | Published: March 2, 2022 04:20 PM2022-03-02T16:20:32+5:302022-03-02T16:22:54+5:30

बिना शादी के और बिना किसी सामाजिक स्वीकृति व कानूनी अधिकारों के किसी पुरुष के रहना और बच्चे को जन्म देना झारखंड में एक आदिवासी परंपरा है, जिसे 'ढुकु विवाह' के रूप में जाना जाता है।

Know About Jharkhand Dhuku Marriage Where Couples Opt For Live-in Relationships | झारखंड में बिना शादी किए साथ में रहते हैं हजारों जोड़े, जानिए लोग क्यों करते हैं 'ढुकु विवाह'?

झारखंड में बिना शादी किए साथ में रहते हैं हजारों जोड़े, जानिए लोग क्यों करते हैं 'ढुकु विवाह'?

Highlightsझारखंड में ऐसे हजारों जोड़े मौजूद हैं जो आज के समय में लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं। आदिवासी समुदाय के मानदंड के अनुसार, महिला को 'ढुकुनी' और पुरुष को 'ढुकुआ' कहा जाता है।

भारत में अब युवाओं के बीच लिव इन रिलेशनशिप काफी आम हो गया है। मगर अभी भी देश में ऐसे परिवार मौजूद हैं जो लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता नहीं देते हैं। हालांकि, पश्चिम से आए इस कांसेप्ट को पहले के समय में लिव इन रिलेशनशिप को मैत्री-करार कहा जाता था, जिसमें दो लोगों के बीच एक लिखित अग्रीमेंट होता था कि वो दोनों बतौर दोस्त एकसाथ रहेंगे और एक-दूसरे का ख्याल रखेंगे। इसी तरह आठ हिंदू विवाहों में से एक गंधर्व विवाह की जड़ें भी लिव-इन से जुड़ी हुई हैं।

झारखंड में ऐसे हजारों जोड़े मौजूद हैं जो आज के समय में लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिना शादी किए एक पुरुष के साथ रिश्ते में रहना और बच्चे को जन्म देना भारत के कई हिस्सों में अवैध माना जाता है, लेकिन बिना शादी के और बिना किसी सामाजिक स्वीकृति व कानूनी अधिकारों के किसी पुरुष के रहना और बच्चे को जन्म देना झारखंड में एक आदिवासी परंपरा है, जिसे 'ढुकु विवाह' के रूप में जाना जाता है। आदिवासी समुदाय के मानदंड के अनुसार, महिला को 'ढुकुनी' और पुरुष को 'ढुकुआ' कहा जाता है।

Indiatimes की रिपोर्ट के मुताबिक, 'ढुकु विवाह' एक नागरिक सहवास है और गर्भावस्था से पहले और बाद में और बच्चों के जन्म के बाद भी स्वीकृत है। लेकिन झारखंड में आदिवासियों के लिए ढुकू विवाह एक सामाजिक अभिशाप है। मुंडा, उरांव और हो जनजाति मुख्य रूप से झारखंड के आदिवासी बहुल ग्रामीण इलाकों में ढुकुना का चलन है। दरअसल, गरीबी और निरक्षरता के कारण सदियों से पितृसत्तात्मक आदिवासी समुदायों में इस तरह के विवाह फल-फूल रहे हैं।

जोड़े लिव-इन रिलेशनशिप में क्यों आते हैं?

झारखंड के आदिवासी गांवों में हजारों जोड़े लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं क्योंकि वे शादी की पार्टियों का आयोजन करने में विफल रहते हैं। लिव-इन जोड़ों के कानूनी अधिकारों के लिए काम करने वाली एक कार्यकर्ता निकिता सिन्हा ने Indiatimes को बताया कि ऐसे मामले हैं जहां एक परिवार की तीन पीढ़ियों ने कभी शादी नहीं की क्योंकि उनके पास शादी करने और गांव के लिए दावत देने के लिए पैसे नहीं थे। वह कहती हैं ''गांव के साथी पोते की शादी की इजाजत नहीं देते क्योंकि उनके दादा ने शादी की दावत नहीं दी थी और इसके बजाय लिव इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला किया था।''

Web Title: Know About Jharkhand Dhuku Marriage Where Couples Opt For Live-in Relationships

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