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Happy Valentine Day: प्यार का रंग लाल ही क्यों, वैलेंटाइन पर लाल गुलाब देने के पीछे है ये कहानी

By गुलनीत कौर | Updated: February 7, 2019 09:46 IST

कहानी के मुताबिक संत वैलेंटाइन को 14 फरवरी 269 ईसवी के दिन ही पादरी के पद हासिल हुआ था। उनके सम्मान में ही लोगों ने इसदिन को वैलेंटाइन डे के रूप में मनाना शुरू कर दिया।

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आज यानी 7 फरवरी से रोज डे (Rose Day) के साथ वैलेंटाइन वीक की शुरुआत हो गई है। कपल्स के बीच वैलेंटाइन की तैयारियों की हलचल देखी जा सकती है। रोज डे पर कपल्स एक दूसरे को लाल गुलाब देते हैं और अपने प्यार का इजहार करते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि प्यार के लिए लाल गुलाब ही क्यों? प्यार का रंग लाल क्यों है? नीला, पीला या हरा क्यों नहीं? 

लाल रंग की अगर बात करें तो इसे खतरे का निशान भी कहा जाता है। यदि किसी से कहना हो कि आगे खतरा है तो लाल झंडा फहराया जाता है। तो फिर प्यार के संदर्भ में इस रंग का क्या मतलब है? लाला रंग को प्यार और प्यार के गुलाब के साथ कब और कैसे जोड़ा गया, इसके पीछे पूरा इतिहास है। आइए जानते हैं इसके बारे में:

रोम में मध्य युग के दौरान गिरजा घरों के पादरी ईसा मसीह और अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि देने के मकसद से लाल रंग का पहनावा पहनते थे। इसके अलावा इस रंग को जंग और गुस्से का प्रतीक भी माना जाता है। आज भी यह रंग गुस्से से जोड़ा जाता है। उस जमाने में बदले की भावना और त्याग के संबंध में भी लाल रंग को ही प्रतीक माना जाता था। 

इस तरह लाल रंग बना प्यार का रंग

लाल रंग को जब खतरे, गुस्से, बदले की भावना से जोड़ा जाता था तो वह प्यार का रंग कैसे बना? यह बदलाव ग्रीक समुदाय द्वारा लाया गया था। इसके पीछे की वजह बनी थी एक कविता। उस जमाने में 'रोमन डी ला रोज' नाम की एक कविता बेहद महशूर हुई थी। कविता के मुताबिक एक व्यक्ति लाल गुलाब की तलाश में निकला था। उस खोज में उसे अपनी जीवन संगिनी मिल गई। इसी कविता को आधार मानते हुए लाल गुलाबी को प्यार से जोड़ा गया।

क्यों मनाते हैं वैलेंटाइन डे?

प्यार का दिन वैलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता अहै, इसके पीछे कई कहानियां हैं। यह दिन संत वैलेंटाइन की याद में मनाया जाता है। एक कहानी के मुताबिक संत वैलेंटाइन को 14 फरवरी 269 ईसवी के दिन ही पादरी के पद हासिल हुआ था। उनके सम्मान में ही लोगों ने इसदिन को वैलेंटाइन डे के रूप में मनाना शुरू कर दिया।

यह भी पढ़ें: Valentine Special: न खर्चा, न भागदौड़, 5 स्टेप्स में इन 5 डेटिंग एप्स पर जल्दी पाएं वैलेंटाइन पार्टनर

कौन थे संत वैलेंटाइन?

संत वैलेंटाइन उस जमाने में पादरी बने जब प्यारा करने वाले दो शख्स की घर वालों की मर्जी के बिना शादी कराना पाप माना जाता था। किन्तु संत वैलेंटाइन की नज़रों में दो प्यार करने वालों को मिलाना ईश्वर को ख्सुह करने के बराबर था। वे ऐसी जोड़ों को अपने यहां शरण देते और उनकी शादी कराते। ऐसे ही जोड़ों ने आगे चलाकर संत वैलेंटाइन के लिए 'वैलेंटाइन डे' बनाया। जिसे आज भी दुनियाभर में मानाया जाता है। 

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