भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की खोज देश में सीएए और एनआरसी के शोर तले परवान नहीं चढ़ पा रही है परन्तु इस पद को पाने के लिए राजनीति अपने चरम पर पहुंच गई है और अलग- अलग खेमे अपनी- अपनी जीत का ख्वाब बुन रहे हैं।
इस बार वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी व जनरल भुवन चंद्र खंडूरी के खेमे मैदान से नदारद हैं पर अन्य गुट अब भी अखाड़े में खम ठोक रहे हैं, जहां भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश का खेमा अजय भट्ट ,अजय टम्टा, मदन कौशिक, केदार जोशी व कुछ अन्य नेताओं की उम्मीदवारी आगे बढ़ा रहा है, वहीं निशंक खेमा बंशीधर भगत ,नवीन दुमका व बलराज पासी की उम्मीदवारी को आगे बढ़ा रहा है।
इस सबके बीच राज्य सरकार में मंत्री धन सिंह रावत, संघ से भाजपा में आए कैलाश पंत, कार्यकारी अध्यक्ष नरेश बंसल, विधायक पुष्कर सिंह धामी भी छुपे रूस्तम साबित हो सकते हैं, जहां धन सिंह रावत को अब धनबल से भी कम नहीं आंका जा सकता, वहीं बंसल राजनीतिक धरातल पर अपनी कमजोरी को पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल से नजदीकी द्वारा पाटने की कोशिश कर रहे हैं।
इनके अलावा विधायक पुष्कर सिंह धामी की उम्मीदवारी भविष्य के चुनावों को मजबूत नज़र आ रही है पर इस बार अपने राजनीतिक गुरु रहे कोश्यारी का प्रदेश की राजनीति से दूर होना उनके लिए परेशानी पैदा कर रहा है।
कुमाऊं के ब्राह्मण नेता व संगठन कौशल में माहिर कैलाश पंत भी आरएसएस व पुराने नेताओं की पसंद बने हुए हैं। इन सब विरोधाभासों के बीच बाजी किसके हाथ लगेगी, यह सीएए और एनसीआर का शोर थमने के बाद ही स्पष्ट होगा।