यूपीए-2 के कार्यकाल के सबसे चर्चित 2 जी घोटाले में आज फैसला आ चुका है। 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले पर पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष सीबीआई अदालत ने ये फैसला सुनाया है। दरअसल कोर्ट ने तीन मामलों की सुनवाई की है, जिसमें दो सीबीआई और एक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का है। कोर्ट ने कहा कि प्रॉजीक्यूशन अपने किसी आरोप को साबित करने में नाकाम रहा है। इस मामले में पहले सीबीआई केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा के अलावा डीएमके के राज्यसभा सांसद कनिमोई मुख्य आरोपी थे।
कौन हैं आरोपी?
पहले सीबीआई केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा के अलावा डीएमके के राज्यसभा सांसद कनिमोई, पूर्व टेलीकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, ए. राजा के तत्कालीन निजी सचिव आरके चंदौलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, यूनिटेक कंपनी के एमडी संजय चंद्रा, कुशेगांव फ्रूटस एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के आसिफ बलवा व राजीव अग्रवाल, कलाईगनार टीवी के निदेशक शरद कुमार और सिनेयुग फिल्म्स के करीम मोरानी के अलावा रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारी गौतम जोशी, सुरेंद्र पिपारा, हरि नैयर आरोपी हैं इसके अलावा तीन कंपनियों स्वान टेलीकॉम लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) को भी आरोपी बनाया गया था।
फैसले के बाद पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि आज ये साबित हो गया है कि इस बड़े घोटाले में सरकार के शीर्ष नेतृत्व की कोई भूमिका नहीं थी।
कैसे सामने आया घोटाला?
2 घोटाला साल 2010 में प्रकाश में आया। उस वक्त भारत के महालेखाकार और नियंत्रक ने एक रिपोर्ट पेश की जिसमें साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए गए। 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में नीलामी नहीं की गई बल्कि 'पहले आओ-पहले पाओ' के आधार पर बांटे गए। रिपोर्ट के मुताबिक इससे सरकारी खजाने पर 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।