नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 12 रिक्त सीटों के लिए 28 जनवरी को चुनाव होगा. बिहार में दो और आंध्र प्रदेश में रिक्त एक विधान परिषद सीट के लिए उपचुनाव भी इसी दिन होगा.
निर्वाचन आयोग ने बुधवार को इसकी अधिसूचना जारी की. निर्वाचन आयोग के अनुसार इन सीटों के लिए 11 जनवरी से नामांकन प्रक्रि या शुरू होगी और 18 जनवरी तक चलेगी. 19 जनवरी को नामांकनपत्रों की जांच और 21 जनवरी को नाम वापसी होगी. 28 जनवरी को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक मतदान होगा.
उसी दिन शाम पांच बजे से मतगणना शुरू होगी. उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 12 सीट संबंधित सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने पर 30 जनवरी को रिक्त हो रही हैं. इन 12 सदस्यों में से एक नसीमुद्दीन सिद्दीकी हैं, जिन्हें अयोग्य घोषित किया गया था.
बिहार विधान परिषद की दो सीटों पर उपचुनाव आवश्यक हो गया था
सेवानिवृत्त होने जा रहे विधान परिषद सदस्यों में भाजपा के स्वतंत्र देव सिंह, दिनेश शर्मा और लक्ष्मण आचार्य, बसपा के धर्मवीर अशोक और प्रदीप जाटव, नसीमुद्दीन सिद्दीकी (अयोग्य) तथा सपा के अहमद हसन, आशु मलिक, रमेश यादव, राम जतन राजभर, वीरेंद्र सिंह और साहिब सिंह सैनी शामिल हैं. भाजपा के सुशील मोदी के हाल में राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने तथा विनोद नाराण झा के राज्य विधानसभा के लिए चुने जाने पर बिहार विधान परिषद की दो सीटों पर उपचुनाव आवश्यक हो गया था.
आंध्र प्रदेश में पिछले साल नवंबर में पोथुला सुनीता के इस्तीफा देने के बाद विधान परिषद की एक सीट खाली हो गई थी. सभी चुनाव और उपचुनाव 28 जनवरी को होंगे. 10 सीेटें जत सकती है भाजपा उत्तर प्रदेश विधानसभा में मौजूदा विधायकों की संख्या को देखते हुए भाजपा 12 विधान परिषद सीटों में से 10 सीटें जीत सकती है.
309 विधायकों के साथ भाजपा आसानी से 9 सदस्यों को भेज सकती है
उच्च सदन की एक सीट के लिए वोट काउंट 32 होगा और 309 विधायकों के साथ भाजपा आसानी से 9 सदस्यों को भेज सकती है. इसके बाद भी भाजपा के पास 21 वोट बचे रह जाएंगे. 9 विधायकों वाले अपना दल की मदद से भाजपा अपना 10वां उम्मीदवार भी उच्च सदन भेज सकती है.
सपा के खाते में एक सीट पक्की है, जबकि बसपा का एक सीट पर भी चुनाव जीतन मुश्किल है. कांग्रेस, सपा, निर्दलीय और ओमप्रकाश राजभर मिलकर एक सीट जीत सकते हैं. भाजपा की ओर से स्वतंत्र देव सिंह और दिनेश शर्मा को उच्च सदन में फिर से नामित किया जा सकता है, जबकि शेष छह सीटों के लिए दौड़ जोर पकड़ रही है.
समाजवादी पार्टी के पास केवल 49 विधायक हैं
समाजवादी पार्टी के पास केवल 49 विधायक हैं. वह परिषद में 14 वोट शेष रहते हुए एक सीट आसानी से बरकरार रख सकती है. बसपा के पास केवल दस सदस्य ही बचे हैं. जब तक उसे अन्य विपक्षी या भाजपा का समर्थन नहीं मिलेगा तब तक उच्च सदन में बसपा का एक भी सदस्य नहीं पहुंच पाएगा.
ऐसे में देखना होगा कि बसपा क्या स्टैंड लेती है. हालांकि, राज्यसभा चुनाव के दौरान बसपा के कई विधायकों ने बागी रु ख अपना लिया था और सपा के समर्थन में खड़े थे. ऐसे में देखना होगा कि मायावती क्या स्टैंड लेती हैं.