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दलितों-पिछड़ों के अधिकार छीनना, यही असली भाजपाई एजेंडा हैः कांग्रेस

By भाषा | Updated: August 19, 2019 13:53 IST

भावगत के बयान से जुड़ी खबर ट्विटर पर शेयर करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया, ‘‘ग़रीबों के अधिकारों पर हमला, संविधान सम्मत अधिकारों को कुचलना, दलितों-पिछड़ों के अधिकार छीनना... यही असली भाजपाई एजेंडा है।’’

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ठळक मुद्देउन्होंने यह भी कहा, ‘‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ-भाजपा का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हुआ। ग़रीबों के आरक्षण को ख़त्म करने का षड्यंत्र और संविधान बदलने की उनकी अगली नीति बेनक़ाब हुई।

‘‘आरक्षण पर सौहार्दपूर्ण माहौल में चर्चा’’ से जुड़ी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने सोमवार को भाजपा पर आरोप लगाया कि दलितों एवं पिछड़ों को मिला आरक्षण खत्म करना ही सत्तारूढ़ पार्टी का असली एजेंडा है।

भावगत के बयान से जुड़ी खबर ट्विटर पर शेयर करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया, ‘‘ग़रीबों के अधिकारों पर हमला, संविधान सम्मत अधिकारों को कुचलना, दलितों-पिछड़ों के अधिकार छीनना... यही असली भाजपाई एजेंडा है।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ-भाजपा का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हुआ। ग़रीबों के आरक्षण को ख़त्म करने का षड्यंत्र और संविधान बदलने की उनकी अगली नीति बेनक़ाब हुई।’’ गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कथित तौर पर कहा था कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच इस पर सौहार्द्रपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए।

भागवत ने कहा कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बात की थी लेकिन इससे काफी हंगामा मचा और पूरी चर्चा वास्तविक मुद्दे से भटक गई। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में यह भी कहा कहा कि आरक्षण का पक्ष लेने वालों को उन लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए जो इसके खिलाफ हैं और इसी तरह से इसका विरोध करने वालों को इसका समर्थन करने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए।

भागवत ने आरक्षण मुद्दे पर सद्भावपूर्ण माहौल में चर्चा पर दिया जोर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच इस पर सद्भावपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए। भागवत ने कहा कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बात की थी लेकिन इससे काफी हंगामा मचा और पूरी चर्चा वास्तविक मुद्दे से भटक गई।

उन्होंने कहा कि आरक्षण का पक्ष लेने वालों को उन लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए जो इसके खिलाफ हैं और इसी तरह से इसका विरोध करने वालों को इसका समर्थन करने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण पर चर्चा हर बार तीखी हो जाती है जबकि इस दृष्टिकोण पर समाज के विभिन्न वर्गों में सामंजस्य जरूरी है। भागवत ‘ज्ञान उत्सव’ के समापन सत्र में बोल रहे थे जो प्रतियोगी परीक्षाओं पर था।

इससे पहले, आरएसएस प्रमुख ने आरक्षण नीति की समीक्षा करने की वकालत की थी, जिस पर कई दलों और जाति समूहों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आयी थी। भागवत ने कहा कि आरएसएस, भाजपा और पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार तीन अलग-अलग इकाइयां हैं और किसी को दूसरे के कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। नरेंद्र मोदी सरकार पर आरएसएस के प्रभाव की धारणा के बारे में बात करते हुए भागवत ने कहा, ‘‘चूंकि भाजपा और इस सरकार में संघ कार्यकर्ता हैं, वे आरएसएस को सुनेंगे, लेकिन उनके लिए हमारे साथ सहमत होना जरूरी नहीं है। वे असहमत भी हो सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि चूंकि भाजपा सरकार में है, उसे व्यापक आधार पर देखना होगा और वह आरएसएस की बात से असहमत हो सकती है। उन्होंने कहा कि एक बार पार्टी के सत्ता में आने के बाद उसके लिए सरकार और राष्ट्रीय हित प्राथमिकता बन जाते हैं। ज्ञान उत्सव का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में किया गया था। 

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