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अमेठी की जीत पर बोलीं स्मृति ईरानी, तीन लाख से ज्यादा वोटों ने मुझे बताया कि कुछ दिक्कत है

By भाषा | Updated: September 1, 2019 14:09 IST

2019 में अमेठी से टिकट मिलने की कोई गारंटी नहीं होने के बावजूद वह पांच साल तक वहां रूकीं और लोगों के साथ मिलकर काम करती रहीं क्योंकि वह ऐसी ही राजनीति में विश्वास करती हैं।

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ठळक मुद्देअपनी जीत का श्रेय 2014 के चुनाव में मिले तीन लाख से ज्यादा वोटों को दी केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वह अमेठी के 25 लाख लोगों के सामने खड़ी चुनौतियों का हल खोजना चाहती हैं।

कांग्रेस के गढ़ अमेठी से पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को हराने वाली केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का कहना है कि 2014 में उन्होंने देखा कि संसदीय क्षेत्र के लोग खाने के लिए मिट्टी से अनाज के दाने चुन रहे थे। उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद संसदीय सीट से मिले तीन लाख से ज्यादा वोटों ने उन्हें समझाया कि इलाके में कुछ तो दिक्कत है और लोगों को मदद की जरुरत है।

ईरानी ने शनिवार को कहा, ‘‘अमेठी की बात आने पर मुझे कुछ भी मजाक नहीं लगता। 2014 में मैंने लोगों को मिट्टी से अनाज चुनते हुए देखा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब लोगों के पास खाने को ना हो और बतौर नेता आप उनके कंधे पर खड़े होकर प्रधानमंत्री बन जाएं, मुझे इससे चैन नहीं पड़ता।’’

केन्द्रीय मंत्री ने ‘देवी अवार्ड’ वितरण समारोह के दौरान यह बातें कहीं। यह सम्मान समारोह न्यू इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप ने एसोचैम के साथ मिलकर शुरू किया है। इस दौरान ईरानी से सवाल किया गया था कि पांच साल पहले 2014 में चुनाव हारने के बाद वह 2019 में कैसे जीत गयीं।

अपनी जीत का श्रेय 2014 के चुनाव में मिले तीन लाख से ज्यादा वोटों को देते हुए ईरानी ने कहा, ‘‘2014 में मुझे मिले वोट इसका संकेत थे कि लोगों को मदद की जरुरत है। मैं उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं वहां जीतने के लिए नहीं रूकी थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं संभवत: इसलिए जीत गयी क्योंकि पांच साल में कभी भी मैंने अमेठी के लोगों को अपना वोट बैंक नहीं समझा। मैं उनसे अपने साथी या परिवार के सदस्य के रूप में जुड़ी।’’ केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वह अमेठी के 25 लाख लोगों के सामने खड़ी चुनौतियों का हल खोजना चाहती हैं।

ईरानी ने कहा कि वह ऐसी ही राजनीति करती हैं। 2019 में अमेठी से टिकट मिलने की कोई गारंटी नहीं होने के बावजूद वह पांच साल तक वहां रूकीं और लोगों के साथ मिलकर काम करती रहीं क्योंकि वह ऐसी ही राजनीति में विश्वास करती हैं।

टॅग्स :स्मृति ईरानीभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)अमेठी
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