दिल्ली में सीलिंग मुद्दे पर चल रही राजनीतिक खींचतान के बीच मंगलवार (30 जनवरी) को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी सहित कई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से चर्चा करने उनके आवास पहुंचे। विवाद निपटाने को लेकर दोनो पक्षों के बीच हो रही चर्चा के दौरान बात बिगड़ी और बहस शुरू हो गई। इसके बाद बीजेपी नेता मारपीट और बदसलूकी का आरोप लगाते हुए केजरीवाल के घर के बाहर धरने पर बैठ गए।
इस पूरे विवाद पर बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, हम हंगामा नहीं चाहते थे। इसलिए हमने 20 लोगों का नाम दिया था कि हम मिलना चाहते हैं। हमने बोलना शुरू किया तो उनके विधायक उठ कर कहने लगे कि आप यहां भाषण मत दो। अपरिपक्वता अरविंद केजरीवाल ने दिखाई है। उन्हें 150 लोगों को बुलाने की क्या जरूरत थी। दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष का 'आप' ने अपमान किया है।
दिल्ली बीजेपी ने अपने आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट कर कहा, केजरीवाल सरकार खुलेआम गुंडागर्दी पर उतर आई है। शांतिपूर्ण तरीके से वार्ता करने गए भाजपा नेताओं पर हमला पूरे लोकतंत्र पर हमला है।
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में कहा है कि मैंने अपने बीजेपी के दोस्तों विनम्रता पूर्वक बैठने का आग्रह किया। मैंने उनसे कहा कि लोकतंत्र में बैठकर बातचीत के माध्यम से विवाद का हल निकाला जा सकता है। पहले आप बैठ जाइये हम इस मुद्दे पर हम साथ बैठकर बातचीत करते हैं, लेकिन वे नहीं माने और वापस लौट गए। मैं इस बात से निराश हूं। क्या है सीलींग विवाद
दिल्ली के दुकानदार और कारोबारी अपनी दुकानों की सीलबंदी से चिंतित है। साल 2006 में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सरकार के दौर में सीलिंग शुरू हुई थी। वहीं डीडीए के मास्टर प्लान 2021 के मुताबिक रिहायशी इलाकों में कमर्शियल चीजों पर रोक का प्रावधान है। इस बात पर कारोबारियों में रोष है और वह इस बात का का विरोध कर रहे हैं कि उनकी जमी हुई दुकानें खत्म की जा रही है।
इस मामले में आप विधायक राज्यपाल अनिल बैजल से मिले। इस दौरान आप विधायकों ने कहा कि अगर डीडीए के मास्टर प्लान 2021 में बदलाव कर दिया जाए तो बहुत से कारोबारियों को सीलिंग से राहत मिल सकती है। वहीं राज्यपाल बैजल ने कहा है कि इस मामले में सभी काननी पहलू देखें जा रहे हैं। इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।