आतंकी बलवंत सिंह राजोआणा को राहत, सीएम अमरिंदर ने कहा- व्यक्तिगत तौर पर मौत की सजा के खिलाफ
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 1, 2019 02:25 PM2019-10-01T14:25:19+5:302019-10-01T14:25:19+5:30
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राजोआणा का नाम भी उन 17 कैदियों की सूची में शामिल था जिन्हें केंद्र को सौंपा गया, क्योंकि वह टाडा के तहत कैदी था, जो सूची के अन्य कैदियों की तरह 14 साल से अधिक जेल की सजा काट चुका है।’’
पंजाब से आतंकवाद को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में शामिल आतंकी बलवंत सिंह राजोआणा की मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील किये जाने के मुद्दे पर पार्टी के एक सांसद के रुख से अलग जाकर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर मौत की सजा के खिलाफ हैं।
लुधियाना से कांग्रेस सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बेअंत सिंह के पौत्र रवनीत सिंह बिट्टू ने केंद्र सरकार के कदम पर सवाल उठाते हुए कहा है कि किसी भी कीमत पर इस कुख्यात आतंकवादी को ‘‘बख्शा’’ नहीं जाना चाहिए। बेअंत सिंह की खालिस्तानी आतंकवादियों ने 31 अगस्त 1995 को आत्मघाती धमाका कर नृशंस हत्या कर दी थी।
Punjab CM' Office: CM Captain Amarinder Singh has made it clear that his govt had merely sent to the Union Home Ministry the list of all long-term TADA prisoners,&had no role in Centre’s reported decision to release Beant Singh’s killer or any other particular prisoner (File pic) pic.twitter.com/6LgTtYjoOo
— ANI (@ANI) September 30, 2019
राजोआणा को इसी मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी । लुधियाना में संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर मौत की सजा के खिलाफ हैं । इससे पहले 2012 में भी वह ऐसा कह चुके हैं। आतंकी के मौत की सजा आजीवन कारावास में बदले जाने का परोक्ष रूप से समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मौत की सजा के सभी मामलों को आजीवन कारावास में बदल दिया जाना चाहिए। कैप्टन ने हालांकि, कहा कि बेअंत सिंह की हत्या के मामले में कांग्रेस का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि हत्यारों को पूरी सजा भुगतना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार से उन 17 कैदियों की सूची मांगी थी जिन्हें आतंकवादी एवं विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है । केंद्र के निर्णय में राज्य की कोई भूमिका नहीं होने का दावा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राजोआणा का नाम भी उन 17 कैदियों की सूची में शामिल था जिन्हें केंद्र को सौंपा गया, क्योंकि वह टाडा के तहत कैदी था, जो सूची के अन्य कैदियों की तरह 14 साल से अधिक जेल की सजा काट चुका है।’’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अबतक उन नौ कैदियों की सूची नहीं मिली है जिन्हें गृह मंत्रालय से विशेष छूट दी गयी है । दूसरी ओर बिट्टू ने केंद्र सरकार के इस कदम पर सवाल उठाया है । सांसद ने लुधियाना में कहा, ‘‘जब उच्चतम न्यायालय ने (राजोआणा को) मौत की सजा सुनाई है तो उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदलने वाले वो कौन होते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह एक कुख्यात आतंकवादी है और उसे किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाना चाहिए ।’’
भगवा पार्टी पर बरसते हुए कांग्रेस सांसद बिट्टू ने कहा कि प्रधानमंत्री वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष की बात कर रहे हैं, और इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी सिखों का वोट लेने के लिए ओछी राजनीति कर रही है। उन्होंने आशंका जतायी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह आग से खेल रहे हैं और पंजाब की शांति को खतरे में डाल रहे हैं। बिट्टू ने कहा कि वो ऐसा नहीं होने देंगे। बिट्टू ने कहा, ‘‘मेरे दादा जी की हत्या से हमारे परिवार को भारी क्षति हुई थी, लेकिन हमलोग एक अन्य संघर्ष के लिए तैयार हैं। हमलोग भाजपा को पंजाब को आतंकवाद के काले दौर में झोंकने नहीं देंगे।’’
इस बारे में पूछे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पूर्व सैनिक होने के नाते मैं लोगों को आश्वस्त कर सकता हूं कि हम किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और किसी भी परिस्थिति में हम पंजाब की शांति भंग नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में आतंकवादियों और हथियारों को भेजकर पाकिस्तान यहां की शांति व्यवस्था भंग करना चाहता है और उनकी सरकार सुरक्षा को और कड़ी करने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी।
इस बीच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने राजोआणा पर हुए फैसले का स्वागत किया है। एसजीपीसी प्रमुख गोबिंद सिंह लौंगोवाल ने कहा कि यह मामला सिख समुदाय की भावनाओं से जुड़ा था। केंद्र के कदम का लुधियाना सांसद की ओर से किये गए विरोध पर लौंगोवाल ने कहा कि यह उनकी अपनी सोच है। उन्होंने कहा, ‘‘राजोआणा पर हम केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं।’’
दूसरी ओर राजोआणा की बहन कमलदीप कौर ने कहा कि उसका भाई पहले ही 24 साल जेल में बिता चुका है और बिट्टू के विरोध पर सवाल उठाया। कमलदीप ने कहा, ‘‘सिख विरोधी दंगों के दौरान मेरे भाई ने हमेशा कांग्रेस नेताओं के अत्याचार के खिलाफ आवाज उठायी थी। हम केंद्र सरकार का हमारे प्रति सहानुभूति रखने के लिए शुक्रिया अदा करते हैं ।’’