RJD प्रमुख लालू यादव के परिवार में अब नये संकट के बादल, कहीं तेजस्वी तो नहीं तेजप्रताप के बेरुखी की वजह!
By एस पी सिन्हा | Published: March 28, 2019 07:27 PM2019-03-28T19:27:56+5:302019-03-28T19:42:33+5:30
लालू परिवार की विरासत संभालने को बेताब तेजप्रताप यादव बीते कई महीनों से पार्टी और परिवार से अलग होते जा रहे हैं. उन्हें अपने ही कुनबे में बहुत भाव नहीं मिल रहा है. यह तब भी जाहिर हुआ था जब 3 जनवरी को पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से बहन मीसा भारती के चुनाव लडने की घोषणा की थी.
सियासी मोर्चे पर संकट झेल रहे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार में भी अब संकट के बादल छाने लगे हैं. कारण कि लालू यादव बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने धमाका करते हुए लालू परिवार की टेंशन, खासकर तेजस्वी यादव की टेंशन बढा दी है. उन्होंने अचानक यह ऐलान कर दिया है कि वह छात्र राजद के संरक्षक पद से इस्तीफा दे दिया था।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी तेजप्रताप यादव अपने परिवार के लिए परेशानियां पैदा करते रहे हैं. उन्होंने तलाक की अर्जी डालकर पहले ही परेशानी बढा दी है और अपनी पत्नी पर गंदे आरोप भी लगाए हैं. वैसे तेजप्रताप यादव खुद को अक्सर कृष्ण कहते हैं औरं छोटे भाई तेजस्वी यादव को अर्जुन. हालांकि लालू के परिवारिक महाभारत में तेजप्रताप उपेक्षित दिख रहे हैं और तेजस्वी सिरमौर. वैसे तेजप्रताप यादव अक्सर 'गायब' हीं रहते हैं. वह कभी काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने जा रहे हैं तो कभी वृंदावन में देखे जा रहे हैं. आलम यह है कि दो अदद शिवहर और जहानाबाद सीट पर भी अपने उम्मीदवार अंगेश कुमार और चंद्रप्रकाश को टिकट दिलाने के लिए तेजस्वी यादव के आगे गिडगिडा रहे हैं. उन्हें टिकट मिलेगी अथवा नहीं, यह कोई नहीं जानता. अब तो उन्होंने छात्र राजद के संरक्षक पद से भी इस्तीफा दे दिया है. जाहिर है वे पार्टी में अलग-थलग पड गए हैं. इस्तीफा देने से पहले महज दो घंटे पहले तेजप्रताप यादव ने यह साफ था कि वह सिर्फ तेजस्वी को सुझाव देने की हैसियत रखते हैं न कि कोई निर्णायक भूमिका की.
पार्टी से कुछ महीनों से नाराज चल रहे हैं तेजप्रताप यादव
दरअसल, लालू परिवार की विरासत संभालने को बेताब तेजप्रताप यादव बीते कई महीनों से पार्टी और परिवार से अलग होते जा रहे हैं. उन्हें अपने ही कुनबे में बहुत भाव नहीं मिल रहा है. यह तब भी जाहिर हुआ था जब 3 जनवरी को पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से बहन मीसा भारती के चुनाव लडने की घोषणा की थी. तब तेजस्वी ने उन्हें खुलकर मीडिया के सामने इसका विरोध किया और उन्हें अनुशासन की नसीहत तक दे डाली थी. लोकसभा चुनाव के समर में भी तेजप्रताप की निष्क्रियता भी कई सवालों को जन्म दे रही है. क्या तेजप्रताप यादव विरासत की जंग में तेजस्वी के हाथों मात खा गए? क्या 'कृष्ण' ने अपने 'अर्जुन' के आगे आत्मसमर्पण कर दिया?
बदलाव यात्रा के बाद से माहौल खराब
यहां बता दें कि बीते दिसंबर में जब तेजप्रताप यादव ने यह घोषणा किया था कि वे बिहार के सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों में बदलाव यात्रा निकालेंगे तो सियासी गलियारों में इसे अलग नजरिये से देखा गया. माना गया था कि तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर वह पार्टी संगठन को मजबूत कर खुद उसकी कमान अपने हाथों में लेना चाहते हैं. तब तेजप्रताप ने यह भी दावा किया था कि उनकी इस यात्रा में तेजस्वी यादव भी शामिल होंगे. लेकिन बीते 2 फरवरी से वह बदलाव यात्रा पर निकले भी, लेकिन तेजस्वी यादव ने इसमें भाग नहीं लिया. इतना ही नहीं न तो इस यात्रा पर कोई बयान आया और न ही तेजप्रताप की कभी चर्चा की.
दोनों भाईयों के बीच अनबन
वैसे, इन दोनों भाइयों के बीच दूरी तब भी दिखी जब बीते 26 जनवरी को तेजप्रताप राजद कार्यालय जा रहे थे तो मेन गेट में ताला जड दिया गया था. हालांकि तेजप्रताप ने इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन सियासी गलियारों में यही चर्चा थी कि ऐसा तेजस्वी यादव के कहने पर ही किया गया था. यह बात और इसलिए पुख्ता होती लगती है क्योंकि इसके बाद अमूमन राजद दफ्तर में लगने वाला तेजप्रताप का जनता दरबार कार्यक्रम भी रद्द कर दिया गया.
तेजप्रताप यादव कहीं पीछे छूट गए हैं
जाहिर है जिस तरह से तेजस्वी यादव बढे हैं और उनके पीछे लालू यादव के समर्थकों हुजूम जुडा हुआ है, इससे तेजप्रताप यादव कहीं पीछे छूट गए हैं. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव के विकल्प के तौर पर न तो पार्टी में और न ही परिवार में ही उनकी स्थिति बन पा रही है. हालांकि कई मुद्दों पर अंतर्विरोध और आमने-सामने होने के बाद भी सार्वजनिक तौर पर दोनों भाइयों की दरार अभी सतह परनहीं आई है. बहरहाल, तेजप्रताप यादव ने अपनी नाराजगी राजद को अपने पद से इस्तीफा देकर बता दिया है. वहीं, उन्होंने ट्विट कर छात्र राजद के संरक्षक पद से इस्तीफा देने की जानकारी दी है.