लाइव न्यूज़ :

अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ आक्रामक राजनीति से दूर हैं वसुंधरा राजे, सात्विक सियासत पर फोकस!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: July 7, 2020 21:09 IST

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ट्विटर पर एक्टिव जरूर हैं, लेकिन उनके ज्यादातर ट्वीट में बधाई, शुभकामनाएं, श्रद्धांजलि जैसे संदेश ही नजर आते हैं. कभी-कभी वे प्रदेश की आपत्तिजनक घटनाओं पर प्रश्नचिन्ह भी लगा देती हैं, किन्तु सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाने के बजाय अक्सर बीजेपी के नेताओं, पार्टी आदि के ट्वीट को ही रिट्वीट करती रहती हैं.

Open in App
ठळक मुद्देइस तरह की ठंडी सियासत की एक खास वजह यह है कि प्रदेश और पार्टी का सियासी समीकरण उनके साथ नहीं है.केन्द्रीय नेतृत्व तो चाहता है कि राजस्थान में भी एमपी, कर्नाटक जैसी राजनीतिक जोड़ तोड़ हो, परन्तु इसके बाद वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद देना नहीं चाहता है.बीजेपी में राजे के विरोधी अवश्य हैं, किन्तु राजे के अलावा बीजेपी में और कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसका प्रभाव और पकड़ पूरे राज्य में हो.

जयपुरः राजस्थान की सत्ता से हटने के बाद से ही प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ आक्रामक राजनीति से दूर हैं और सात्विक सियासत पर फोकस हैं.

वह ट्विटर पर एक्टिव जरूर हैं, लेकिन उनके ज्यादातर ट्वीट में बधाई, शुभकामनाएं, श्रद्धांजलि जैसे संदेश ही नजर आते हैं. कभी-कभी वे प्रदेश की आपत्तिजनक घटनाओं पर प्रश्नचिन्ह भी लगा देती हैं, किन्तु सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाने के बजाय अक्सर बीजेपी के नेताओं, पार्टी आदि के ट्वीट को ही रिट्वीट करती रहती हैं.

प्रदेश और पार्टी का सियासी समीकरण उनके साथ नहीं

दरअसल, इस तरह की ठंडी सियासत की एक खास वजह यह है कि प्रदेश और पार्टी का सियासी समीकरण उनके साथ नहीं है. बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व तो चाहता है कि राजस्थान में भी एमपी, कर्नाटक जैसी राजनीतिक जोड़ तोड़ हो, परन्तु इसके बाद वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद देना नहीं चाहता है.

प्रदेश बीजेपी में राजे के विरोधी अवश्य हैं, किन्तु राजे के अलावा बीजेपी में और कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसका प्रभाव और पकड़ पूरे राज्य में हो. लिहाजा, राजे को नजरअंदाज करके राजस्थान में कोई रणनीति कामयाब नहीं हो पा रही है.

याद रहे, गत विधानसभा चुनाव- 2018 के तुरंत बाद ही बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व ने वसुंधरा राजे को राजस्थान से दूर करने का प्रयास किया था, लेकिन कोई खास कामयाबी नहीं मिल पाई, अलबत्ता, इसके बाद राजे राजस्थान में ही रह कर- ठहरो और देखो, की राजनीति पर फोकस हो गई हैं.

बीजेपी के इस बिगड़े सियासी समीकरण का सबसे ज्यादा फायदा प्रदेश में अशोक गहलोत की सरकार को हुआ है. न तो प्रदेश में कहीं गहलोत सरकार का प्रभावी विरोध नजर आ रहा है और न ही बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व की जोड़तोड़ की रणनीति कामयाब हो पा रही है, यही वजह है कि हाल ही राज्यसभा के चुनाव में भी बीजेपी के सियासी सपने साकार नहीं हो पाए!

टॅग्स :भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)राजस्थानजयपुरकांग्रेसवसुंधरा राजेअशोक गहलोतजेपी नड्डा
Open in App

संबंधित खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

क्राइम अलर्ट20 साल की नर्सिंग छात्रा की गला रेतकर हत्या, पिता ने कहा-महेंद्रगढ़ के उपेंद्र कुमार ने बेटी का अपहरण कर किया दुष्कर्म और लाडो को मार डाला

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतSanchar Saathi App: विपक्ष के आरोपों के बीच संचार साथी ऐप डाउनलोड में भारी वृद्धि, संचार मंत्रालय का दावा

भारतMCD Bypoll Results 2025: दिल्ली के सभी 12 वार्डों के रिजल्ट अनाउंस, 7 पर बीजेपी, 3 पर AAP, कांग्रेस ने 1 वार्ड जीता

राजनीति अधिक खबरें

राजनीतिDUSU Election 2025: आर्यन मान को हरियाणा-दिल्ली की खाप पंचायतों ने दिया समर्थन

राजनीतिबिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से मिलीं पाखी हेगड़े, भाजपा में शामिल होने की अटकलें

राजनीतिBihar voter revision: वोटरों की सही स्थिति का पता चलेगा, SIR को लेकर रूपेश पाण्डेय ने कहा

राजनीतिबिहार विधानसभा चुनावः बगहा सीट पर बीजेपी की हैट्रिक लगाएंगे रुपेश पाण्डेय?

राजनीतिगोवा विधानसभा बजट सत्रः 304 करोड़ की 'बिना टेंडर' परियोजनाओं पर बवाल, विपक्ष का हंगामा