ग्रेट पाॅलिटिकल ड्रामा ऑफ राजस्थानः सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को राहत, 21 तक कार्रवाई नहीं, जानिए हर अपडेट
By धीरेंद्र जैन | Published: July 17, 2020 09:37 PM2020-07-17T21:37:16+5:302020-07-17T21:37:16+5:30
न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की बेंच ने सुनवाई करते हुए राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष को सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 विधायकों को जारी किये गये नोटिस पर 21 जुलाई तक कोई भी कार्रवाई न करने के निर्देश दिये हैं।
जयपुरः राजस्थान में पिछले 8 दिनों से राजस्थान की राजनीति में मचे घमासान के बीच विधानसभाध्यक्ष द्वारा सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 कांग्रेस के विधायकों को नोटिस दिये जाने के मामले में आज हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की बेंच ने सुनवाई करते हुए राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष को सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 विधायकों को जारी किये गये नोटिस पर 21 जुलाई तक कोई भी कार्रवाई न करने के निर्देश दिये हैं।
सचिन पायलट और उनके समर्थकों की ओर से दायर की गई याचिका पर उनके वकील हरीश साल्वे ने बहस के दौरान कहा कि विधानसभा के बाहर की गतिविधि को दल-बदल विरोधी अधिनियम का उल्लंघन नहीं माना जा सकता।
कोर्ट ने मंगलवार शाम 5 बजे तक विधानसभा अध्यक्ष को 19 विधायकों को जारी किये गये नोटिस पर कोई भी कार्रवाई करने पर पाबंदी लगा दी है। अन्यथा यह माना जा रहा था कि स्पीकर शीघ्र ही इन विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय सुना सकते हैं क्योंकि इन विधायकों को आज शाम तक का ही समय दिया गया था। हाईकोर्ट सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।
कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच भाजपा भी दो गुटों में बंटी हुई दिखाई दे रही है
राजस्थान में कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच भाजपा भी दो गुटों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। इस बात का बल तक भी जब रालोपा संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने ट्वीट कर वसुधरा राजे पर हमला बोलते हुए कहा कि वसुंधरा राजे ने राजस्थान कांग्रेस में उनके करीबी विधायकों से फोन करके गहलोत का साथ देने की बात कही है। सीकर और नागौर जिले के एक-एक जाट विधायकों को वसुंधरा ने खुद बात करके पायलट से दूरी बनाने को कहा है। इसके पुख्ता प्रमाण हमारे पास हैं।
गुरुवार देर रात विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़ी बातचीत के तीन ऑडियो वायरल हुए। इन ऑडियो में एक व्यक्ति खुद को संजय जैन और दूसरा खुद को गजेंद्र सिंह बता रहा है। दो ऑडियो में बातचीत राजस्थानी में है। जबकि, तीसरे में हिंदी और अंग्रेजी में बातचीत हो रही है।
लेकिन इस ऑडियो के बारे में साफ तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि ये कब के हैं। इन ऑडियो में अपनी आवाज होने की बात का खंडन केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र शेखावत और कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा कर चुके हैं। जबकि कांग्रेस ने भंवरलाल शर्मा और विश्वेन्द्र सिंह को यह ऑडियो आने के बाद पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है।
सचिन पायलट के वसुंधरा पर बयान पर भाजपा का पलटवार
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा वसुधंरा राजे पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सांठगांठ को लेकर किये गये बयान पर भाजपा ने पटलवार किया। भाजपा विधायक एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और प्रताप सिंघवी ने संयुक्त बयान जारी करते हुए पायलट से पूछा कि सचिन पायलट उत्तर दें कि वे दिल्ली वाले बंगले में किस अधिकार से रह रहे हैं, क्योंकि दिल्ली वाला बंगला उन्हें तक आवंटित हुआ था जब केन्द्र में यूपीए सरकार थी।
दोनों विधायकों ने कहा कि पायलट अपनी महत्वाकांक्षा के चलते पार्टी में अंतर्कलह पैदा करके बुरी तरह फंस गये है और वसुंधरा राजे के बंगले को लेकर किया गय सवाल उनकी उसी हताशा का परिणाम है। शायद वे भूल रहे हैं कि वसुंधरा राजे को वह बंगला वरिष्ठ विधायक श्रेणी में आवंटित हुआ है।
इसी श्रेणी में आवास पूर्व सरकार के कांग्रेस के देवीसिंह भाटी और माहिर आजाद को भी मिला हुआ था और उससे भी पूववर्ती सरकार के समय इसी श्रेणी में भाजपा के प्रहलाद गुंजल को भी मिला था और अब इसी श्रेणी में महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, नरेन्द्र बुढानिया और महादेव खंडेला को आवास आवंटित किये गये हैं। जबकि वसुधरा राजे जी दो बार मुख्यमंत्री, पांच बार सांसद, पांच बार विधायक, नेता प्रतिपक्ष और केन्द्रीय मंत्री रह चुकी हैं।
ऐसे में उनके लिए आवंटित आवास को सचिन पायलट द्वारा गहलोत सरकार की ओर से दी गई मदद बताया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। कैलाश मेघवाल ने कहा कि वास्तव में पायलट की पीड़ा वसुंधरा राजे जी को आवास आवंटन नहीं अपितु 2003 के विधानसभा चुनाव में झालरापाटन से उनकी मां रमा पायलट की वसुंधरा जी से हार है जिसे वे अब तक नहीं भुला पाये हैं।
बागियों ने डर के कारण उठाया हाईकोर्ट में जाने का कदम - खाचरियावास
राजस्थान सरकार के परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के दौरान नोटिस प्रकरण को लेकर कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को सब अधिकार है और सचिन पायलट और उनके समर्थक अब डर पैदा होने के बाद हाईकोर्ट में नोटिस के खिलाफ याचिका लगाने का कदम उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पार्टी व्हिप को उन्होंने नहीं माना और विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे। भाजपा प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश में जुटी है और कांग्रेस के बागियों के प्रति उनका अचानक प्रेम जाग गया है।
कांग्रेस के निशान पर जीते लोग अब भाजपा के साथ मिलकर शपथ लेने की सोच रहे हैं। बागी विधायकों को जयपुर में रहकर या एआईसीसी के समक्ष अपना पक्ष रखना चाहिए था लेकिन राजस्थान में भी मध्यप्रदेश जैसा दोहराने के प्रयास किये जा रहे हैं। पर्याप्त संख्या बल नहीं होने पर अब दूसरी योजना बनाई जा रही है।
विधानसभाध्यक्ष का नोटिस अनाधिकृत, अवैध, दुर्भाग्यपूर्ण और न्याय के प्राकृतिक सिद्धांतों के विरुद्ध - पानाचन्द जैन
राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एवं संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ के रूप में देश-विदेश में ख्याति प्राप्त जस्टिस पानाचन्द जैन ने कांग्रेस के बागी 19 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जारी किये गये नोटिस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संविधान में असेम्बली की मीटिंग बुलाने की प्रक्रिया है, मीटिंग हेतु कार्यसूची जारी की जाता है और अधिकृत अधिकारी मीटिंग का नोटिस जारी करते हैं।
इन तथ्यों से स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री जी ने जो मीटिंग बुलाई थी वहं कांग्रेस पार्टी के विधायकों की थी और असेम्बली से इसका कोई संबंध नहीं था। व्हिप केवल असेम्बलीके कार्यों हेतु जारी किया जाता है। सूची के पैरा नं. दो में इनका स्पष्ट उल्लेख है। व्हिप मतदान में पार्टी के पक्ष में मत देने का आव्हान करता है। असेम्बली में दो पार्टियां होती है पक्ष और विपक्ष। संविधान संशोधन अधिनियम जारी कराना है या कोई एक्ट पारित कराना है और सत्ताधारी पार्टी जो बहुमत में है वह अपने विधायकों से अपेक्षा करती है कि वे मतदान के समय मौजूद रहें और पार्टी के पक्ष में मतदान करें।
आज हमारे सामने जो हालात है उनका विधानसभा से कोई संबंध नहीं है। यह मामला कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी लड़ाई से संबंधित है। अतः व्हिप के प्रयोग का प्रश्न ही पैदा नहीं होता एवं न ही इन विधायकों पर दल-बदल कानून लागू होता है। ऐसे में स्पीकर द्वारा जारी किया गया नोटिस अधिकार शून्य है। दसवीं सूची और दलबदल कानून के खिलाफ है। अतः नोटिस अवैध है।
मुख्य सचेतक महेश जोशी ने जो अर्जी स्पीकर महोदय को प्रस्तुत की है। यह सब किस मीटिंग के लिए है? स्पष्ट है इनका असेम्बली से कोई संबंध नहीं है। यह कांग्रेसी विधायकों की निजी मीटिंग थी। इसके अतिरिक्त असेम्बली का चीफ व्हिप कांग्रेस पार्टी का कर्मचारी नहीं है क्योंकि जो अर्जी उन्होंने स्पीकर को प्रस्तुत की है वह उनकी ड्यूटीज के डिस्चार्ज से नहींे है। अतः महेश जोशी की अर्जी पर स्पीकर को कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं था।
साथ ही यह भी साफ है कि स्पीकर ने जो सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को नोटिस जारी किये है वे विधानसभा की किसी कार्यवाही का हिस्सा नहीं हैं, अतः स्पीकर की कार्रवाई अवैध है। इस प्रकार हम देखें तों स्पष्ट है कि सारी कार्रवाई अधिकार शून्य है, अवैध है और दसवी सूची के दलबदल कानून के खिलाफ है। दलबदल कानून यह इंगित करता है कि कार्रवाई का संबंध असेम्बली से होना चाहिए। इति। - धीरेन्द्र जैन।