जयपुर की सांगानेर विधानसभा सीट को लेकर संघ के स्वयंसेवक महाभारत के अर्जुन जैसी उलझन में हैं? एक ओर भाजपा है तो दूसरी ओर बचपन से आरएसएस से जुड़े नेता घनश्याम तिवाड़ी हैं! राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे का पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी करीब चार साल तक विरोध करते रहे, लेकिन जब केन्द्रीय भाजपा ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने भाजपा छोड़ दी और अपनी नई पार्टी खड़ी कर ली.
राजस्थान के दिग्गज राजनेता और सांगानेर, जयपुर के विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने 25 जून 2018 को भारतीय जनता पार्टी छोड़ने का एलान किया था. उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को अपना इस्तीफा भेजने के बाद जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि- भारतीय जनता पार्टी छोड़ने का उन्हें अत्यंत दुख है. भारत वाहिनी पार्टी के गठन के बाद तिवाड़ी ने पहली बार प्रेस से बातचीत करते हुए कहा था कि- आज के दिन आपातकाल लगा था? यह दिन मेरे लिए महत्वपूर्ण है!
अब सांगानेर, जयपुर से भारत वाहिनी पार्टी के अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी विस चुनाव लड़ रहे हैं. वर्ष 2013 के विस चुनाव में तिवाड़ी यहां से रिकार्ड- 62,832 वोटों से चुनाव जीते थे. एक तो यहां से भाजपा के पास कोई दमदार उम्मीदवार नहीं है और दूसरा संघ के स्वयंसेवक खामोश भले ही हों, लेकिन असंमजस में हैं कि-किसका साथ दें? भाजपा का या घनश्याम तिवाड़ी का!
कुछ भाजपा समर्थकों का मानना है कि यदि यहां त्रिकोणात्मक संघर्ष हुआ तो कांग्रेस यह सीट जीत सकती है, जबकि घनश्याम तिवाड़ी के सामने भाजपा केवल संकेतात्मक उम्मीदवारी खड़ा करती है और तिवाड़ी जीत जाते हैं तो वे फिर से भाजपा के साथ हो सकते हैं, कारण? तिवाड़ी, सीएम राजे का विरोध करते रहे हैं, भाजपा का नहीं!
उधर, कुछ भाजपा समर्थक चाहते हैं कि घनश्याम तिवाड़ी के सामने संघ की पृष्ठभूमि वाला उम्मीदवार ही खड़ा किया जाए, ताकि भाजपा की यह सीट बचाई जा सके? कांग्रेस की नजर इस पर है कि यदि भाजपा मजबूत उम्मीदवार खड़ा करती है तो भाजपा और भावापा के बीच वोटों के बंटवारे में कांग्रेस जीत सकती है.