जयपुर।राजस्थान में जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजस्थान इकाई का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार शाम राज्यपाल कलराज मिश्र से मिला। उसने राजस्थान में अराजकता का वातावरण पैदा होने की बात करते हुए राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की धमकी राजभवन के घेराव और सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थता व्यक्त करना IPC की धारा 124 का स्पष्ट उल्लंघन है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां की अगुवाई में यह प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला। राजभवन के बाहर भाजपा नेताओं ने राज्य में बीते दो दिन के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। सतीश पूनियां ने कहा कि कांग्रेस ने राजभवन को धरने एवं प्रदर्शन का अखाड़ा बना दिया।
उन्होंने कांग्रेस द्वारा शनिवार को जिला मुख्यालयों पर किए गए धरने प्रदर्शन के उद्देश्य पर भी सवाल उठाया। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 'जनता द्वारा राजभवन को घेरने' संबंधी बयान की आलोचना की। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि अंतरविरोध से घिरी सरकार की लड़ाई सड़क पर आ गयी है।
भाजपा ने अपने ज्ञापन में कहा है कि सत्ताधारी दल के आंतरिक संघर्ष के कारण पूरे राज्य में अराजकता की स्थिति बनी हुई है। लेकिन पिछले दो दिन में जिस प्रकार मुख्यमंत्री ने खुद जिस प्रकार की भाषा एवं गतिविधियां अपने मंत्रियों एवं विधायकों को साथ लेकर की हैं उससे राज्य में कानून व्यवस्था खत्म होने की स्थिति बनी हुई है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने समर्थक विधायकों के साथ शुक्रवार को राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकात की थी और विधानसभा का सत्र बुलाए जाने की मांग की थी। राज्यपाल द्वारा सत्र नहीं बुलाए जाने पर कांग्रेस और उसके समर्थक विधायकों ने शुक्रवार को राजभवन में चार घंटे से अधिक समय तक धरना दिया।
शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर के फेयरमोंट होटल में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई और विधायकों से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा, "जरूरत पड़ने पर हम राष्ट्रपति से मिलने राष्ट्रपति भवन जाएंगे। यदि आवश्यक हो, तो हम पीएम के निवास के बाहर भी विरोध प्रदर्शन करेंगे।"
राजस्थान में बहुमत का जादुई आंकड़ा
साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस द्वारा अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही सचिन पायलट नाराज चल रहे थे। राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 और बीजेपी के पास 72 विधायक हैं। यदि 19 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया जाता है तो राज्य विधानसभा की मौजूदा प्रभावी संख्या घटकर 181 हो जाएगी, जिससे बहुमत का जादुई आंकड़ा 91 पर पहुंच जाएगा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए बहुमत कायम रखना आसान होगा।(भाषा से इनपुट)