राहुल गांधीः पब्लिक में पाॅलिटिकल इमेज सुधर रही है, परन्तु पार्टी में प्रश्नचिन्ह?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: August 31, 2020 10:01 PM2020-08-31T22:01:28+5:302020-08-31T22:01:28+5:30
सितंबर- 2020 की शुरुआत से ही बेदम होने लगेगा. यह बात अलग है कि उनकी पाॅलिटिकल इमेज भले ही सुधर रही हो, किन्तु उनका असली राजनीतिक असर वर्ष 2023 के पूर्वार्ध से नजर आने लगेगा, जब उनके सफल सियास सफर की शुरूआत होगी.
जयपुरः कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लंबे समय से विरोधियों के सियासी निशाने पर थे और उनकी पाॅलिटिकल इमेज को खराब करने के अर्ध-सफल प्रयास भी हुए हैं, लेकिन अब जहां पब्लिक में उनकी पाॅलिटिकल इमेज सुधर रही है, वहीं पहली बार पार्टी में उन पर प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं.
हालांकि, सितारों के समीकरण पर भरोसा करें, तो करीब दो माह से उनके परिवार के खिलाफ पार्टी के अंदर जो असंतोष पनप रहा था, वह सितंबर- 2020 की शुरुआत से ही बेदम होने लगेगा. यह बात अलग है कि उनकी पाॅलिटिकल इमेज भले ही सुधर रही हो, किन्तु उनका असली राजनीतिक असर वर्ष 2023 के पूर्वार्ध से नजर आने लगेगा, जब उनके सफल सियास सफर की शुरूआत होगी.
राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी के निधन के बाद से ही उनका सक्रिय राजनीति में इंतजार किया जाता रहा, लेकिन यह प्रतीक्षा वर्ष 2004 में जाकर खत्म हुई, जब वे अपने पिता राजीव गांधी के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से चुनाव लड़े और भारी बहुमत से जीत गए. हालांकि, इसके बाद वे चुनाव तो लगातार जीतते गए और वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव भी वे केरल से जीत गए, परन्तु 2019 में बीजेपी उन्हें अमेठी से पहली बार चुनाव हराने में कामयाब हो गई.
अब तक का उनका राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. लंबे समय तक बीजेपी उनकी योग्यता को लेकर इमेज खराब करती रही और काफी हद तक सफल भी रही, किन्तु अब ऐसा नहीं है. विभिन्न मुद्दों को लेकर उनका आक्रामक अंदाज बीजेपी को बेचैन कर रहा है.
अब तक राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने कभी सफलता, तो कभी असफलता दर्ज करवाई है. जहां पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों में कांग्रेस को कामयाबी मिली और गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी बड़ी मुश्किल से अपनी सत्ता बचा पाई थी, वहीं लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान काफी मेहनत के बावजूद उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली.
उनके सितारे कहते हैं कि वर्ष 2020-21 में उनका पाॅलिटिकल ग्राफ आगे बढ़ेगा और वे विरोधियों के सियासी जाल से बाहर निकलने में सफल रहेंगे. वर्ष 2021-22 और भी बेहतर राजनीतिक परिणाम देगा, तो विरोधियों की राजनीतिक परेशानियां भी बढ़ेंगी. लेकिन, वर्ष 2022-23 में सियासी सतर्कता और सुरक्षा की जरूरत रहेगी. खासकर, सोच-समझ कर बयान देने होंगे.
वर्ष 2023-24 पराक्रम बढ़ानेवाला रहेगा, जब उनके सितारे बदलेंगे और नया राजनीतिक अध्याय शुरू होगा. राहुल गांधी की कामयाबी में राहु के कारण जहां गुप्त शत्रु और गुप्त गतिविधियां राजनीतिक हानि पहुंचाएंगी, वहीं किस मुद्दे पर बोलना है और कब खामोश रहना है, इसका ठीक से फैसला वे नहीं कर पाएंगें, जिसके कारण उन्हें सियासी नुकसान हो सकता है!