संसद मानसून सत्र: शुरुआत 14 सितम्बर से,  प्रश्नकाल नहीं, विपक्ष अड़ा, राज्यसभा सुबह और लोकसभा शाम को चलेगी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 2, 2020 15:52 IST2020-09-02T15:38:50+5:302020-09-02T15:52:49+5:30

शनिवार तथा रविवार को भी संसद की कार्यवाही जारी रहेगी। संसद सत्र की शुरुआत 14 सितम्बर को होगी और इसका समापन एक अक्टूबर को प्रस्तावित है। सिर्फ पहले दिन को छोड़कर राज्यसभा की कार्यवाही सुबह की पाली में चलेगी जबकि लोकसभा शाम की पाली में बैठेगी।

Parliament Monsoon Session Beginning from 14th September no question hour, Opposition will sit in Rajya Sabha and Lok Sabha evening shifts | संसद मानसून सत्र: शुरुआत 14 सितम्बर से,  प्रश्नकाल नहीं, विपक्ष अड़ा, राज्यसभा सुबह और लोकसभा शाम को चलेगी

सूत्रों से पता चला है कि सरकार ने विपक्ष के नेताओं से संपर्क कर प्रश्नकाल न लिए जाने की मजबूरियों से अवगत कराया।

Highlightsदोनों सदनों की कार्यवाही अलग-अलग पालियों में सुबह नौ बजे से एक बजे तक और तीन बजे से सात बजे तक चलेगी।सरकार के आग्रह के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष ने निर्देश दिया है कि सत्र के दौरान गैर सरकारी विधेयकों के लिए कोई भी दिन तय न किया जाए।राज्यसभा में पार्टी संसदीय दल के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि इससे विपक्षी सांसद सरकार से सवाल पूछने के अपने हक को खो देंगे।

नई दिल्लीः संसद के आगामी मानसून सत्र में न तो प्रश्न काल होगा और न ही गैर सरकारी विधेयक लाए जा सकेंगे। कोरोना महामारी के इस दौर में पैदा हुई असाधारण परिस्थितियों के बीच होने जा रहे इस सत्र में शून्य काल को भी सीमित कर दिया गया है।

लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक दोनों सदनों की कार्यवाही अलग-अलग पालियों में सुबह नौ बजे से एक बजे तक और तीन बजे से सात बजे तक चलेगी। शनिवार तथा रविवार को भी संसद की कार्यवाही जारी रहेगी। संसद सत्र की शुरुआत 14 सितम्बर को होगी और इसका समापन एक अक्टूबर को प्रस्तावित है। सिर्फ पहले दिन को छोड़कर राज्यसभा की कार्यवाही सुबह की पाली में चलेगी जबकि लोकसभा शाम की पाली में बैठेगी।

लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया, ‘‘सत्र के दौरान प्रश्न काल नहीं होगा। कोरोना महामारी के चलते पैदा हुई असाधारण परिस्थितयों को देखते हुए सरकार के आग्रह के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष ने निर्देश दिया है कि सत्र के दौरान गैर सरकारी विधेयकों के लिए कोई भी दिन तय न किया जाए।’’

ऐसी ही एक अधिसूचना राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी की गई है। प्रश्नकाल की व्यवस्था को कार्यवाही से हटाए जाने का विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में पार्टी संसदीय दल के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि इससे विपक्षी सांसद सरकार से सवाल पूछने के अपने हक को खो देंगे। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा, ‘‘महामारी लोकतंत्र की हत्या करने का बहाना बन गयी है।’’ उन्होंने कहा कि पूर्व में प्रश्नकाल तभी नहीं हुआ है जब सत्र विशेष उद्देश्यों के लिए बुलाए गए थे जबकि आगामी सत्र तो नियमित सत्र का हिस्सा है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पिछले हफ्ते लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि संसद सत्र में सदस्यों के प्रश्न पूछने और मुद्दे उठाने के अधिकार में कटौती नहीं की जाए। कटौती करना जन प्रतिनिधियों के हित में नहीं होगा। इस बीच सूत्रों से पता चला है कि सरकार ने विपक्ष के नेताओं से संपर्क कर प्रश्नकाल न लिए जाने की मजबूरियों से अवगत कराया।

उनका कहना है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, अधीर रंजन चौधरी, बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा और ओ’ब्रयान सहित विपक्ष के कई अन्य नेताओं से फोन पर चर्चा की। गौरतलब है कि लोकसभा में प्रश्नकाल सुबह 11 बजे से 12 बजे के बीच होता है जिसमें सदस्य मंत्रियों से संबंधित विभागों से जुड़े प्रश्न पूछते हैं।

इसके बाद शून्यकाल होता है जिसमें सदस्य अपने क्षेत्र अथवा जनहित के दूसरे मुद्दे उठाते हैं। संसद के ऐसे सदस्य जो केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं हैं, उन्हें संसद का गैर सरकारी सदस्य कहा जाता है। इन सदस्यों द्वारा पेश किये जाने वाले विधेयक को गैर सरकारी विधेयक कहते हैं। संसद के दोनों सदनों में शुक्रवार के दिन अपराह्न के बाद का समय गैर सरकारी सदस्यों के लिए तय रहता है।

विपक्ष अर्थव्यवस्था-महामारी पर सवाल न पूछें, इसलिए निलंबित हुआ प्रश्न काल: तृणमूल कांग्रेस सांसद

तृणमूल कांग्रेस ने संसद के आगामी सत्र में प्रश्न काल के निलंबन को लेकर केंद्र सरकार पर बुधवार को हमला करते हुए आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती है कि विपक्ष के सदस्यों को अर्थव्यवस्था और महामारी पर सवाल करने का अवसर दिया जाए। संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है और यह एक अक्टूबर तक चलेगा। लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार इस सत्र में प्रश्न काल नहीं होगा और निजी सदस्यों के विधेयक भी नहीं लिए जाएंगे, जबकि शून्य काल की अवधि सीमित होगी।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इस संबंध में ट्वीट किया, ‘‘ सांसदों को संसद में प्रश्न काल वाले सवाल 15 दिन पहले जमा करने होते हैं। सत्र की शुरुआत 14 सितंबर से हो रही है। इसलिये प्रश्न काल रद्द हो गया? विपक्षी सांसदों का सवाल पूछने का अधिकार चला गया। 1950 के बाद पहली बार? जब संसद के कामकाज के घंटे पहले वाले ही हैं तो प्रश्न काल क्यों रद्द किया गया? लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना।’’ उन्होंने इस ओर इशारा किया कि प्रश्न काल महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इस दौरान उठाए गए मुद्दों का जवाब संबंधित मंत्री देते हैं जबकि शून्य काल में ऐसा नहीं है।

तृणमूल सांसद ने कहा कि प्रश्न काल के दौरान सत्ता पक्ष के द्वारा भी सवाल उठाए जाते हैं और इस अवधि को निलंबित करने का कदम उठाकर सरकार “अपने सांसदों को भी सवाल पूछने का अवसर नहीं दे रही” है। उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब यह है कि हम अर्थव्यवस्था और महामारी को लेकर कोई सवाल नहीं पूछ सकते हैं।’’ तृणमूल कांग्रेस ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘ 1961 में 33वें, 1975 में 93वें, 1976 में 98वें और 1977 में 99वें सत्र में प्रश्न काल नहीं था क्योंकि ये सभी सत्र विशेष उद्देश्य - ओडिशा, आपातकाल की घोषणा, 44वें संशोधन, तमिलनाडु/नगालैंड में राष्ट्रपति शासन के लिये थे। आगामी मानसून सत्र नियमित सत्र है।’’ 

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