संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन भी राज्य सभा में नहीं पास हो सका तीन तलाक विधेयक, एक फरवरी को पेश होगा बज़ट

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: January 5, 2018 16:57 IST2018-01-05T15:12:48+5:302018-01-05T16:57:33+5:30

संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि संसद का बज़ट सत्र 29 जनवरी से शुरू होगा।

Parliament both house adjourned sine die, budget session will begin on 29 january | संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन भी राज्य सभा में नहीं पास हो सका तीन तलाक विधेयक, एक फरवरी को पेश होगा बज़ट

संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन भी राज्य सभा में नहीं पास हो सका तीन तलाक विधेयक, एक फरवरी को पेश होगा बज़ट

शुक्रवार (पाँच जनवरी) को संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन था।  28 दिसंबर को लोक सभा में पारित हो चुका है मुस्लिम महिला विवाह (अधिकार और संरक्षम) विधेयक 2017 राज्य सभा में पारित नहीं हो सका। शुक्रवार को लोक सभा और राज्य सभा दोनो की कार्यवाही हंगामे के कारण स्थगित कर दी गयी। शुक्रवार को सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस और बीजेपी ने व्हिप जारी करके सभी सांसदों को उपस्थित रहने को कहा था। लेकिन हंगामे के बीच एकराय नहीं बन सकी। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होने की घोषणा की। अनंत कुमार ने पत्रकारों को बताया, 'पहला बजट सत्र 29 जनवरी से 5 फरवरी तक चलेगा। बजट एक फरवरी को पेश होगा। जबकि दूसरा सत्र 5 मार्च से 6 अप्रैल तक चलेगा।'


गुरुवार को राज्यसभा में अरुण जेटली ने विपक्ष दलों के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था जिसमें ट्रिपल तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की गई थी। दूसरी तरफ विपक्षी दल इस बिल पर बने गतिरोध को सुलझाए बिना किसी और बिल पर चर्चा को तैयार नहीं थे। गुरुवार को भी भारी हंगामा के चलते राज्यसभा को दिन भर के लिए स्थगित करना पड़ा था।


तीन तलाक विधेयक में एक बार में तीन बार तलाक बोलकर तलाक दिए जाने के आपाराधिक बनाए जाने पर कांग्रेस समेत की विपक्षी दलों का ऐतराज है। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित विधेयक में बोलकर या लिखकर या मैसेज या फोन पर एक बार में ही तीन तलाक देने को आपराधिक कृत्य मानते हुए उसके लिए तीन साल तक के जेल और जुर्माने या दोनों का प्रावधान है।

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बीजू जनता दल, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल इत्यादि मोदी सरकार के इस विधेयक के खिलाफ हैं। कांग्रेस ने कहा है कि वो विधेयक की मूल भावना के समर्थन में है लेकिन पारिवारिक वाद को फौजदारी वाद बनाने के खिलाफ है। कांग्रेस की मांग थी कि विधेयक को संसद की सेलेक्ट कमेटी के पास विचार के लिए भेजा जाए। 

बीजेपी के पास लोक सभा में पूर्ण बहुमत है लेकिन राज्य सभा में वो अल्पमत में है। इसलिए राज्य सभा में ये विधेयक पारित कराने के लिए बीजेपी को एआईएडीएमके, टीएमसी और बीजद जैसे दलों के समर्थन की जरूरत होगी।

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