लोकसभा उपचुनावः BJP के लिए साख का सवाल हैं ये सीटें, लेकिन शिवसेना खड़ी कर सकती मुश्किलें
By रामदीप मिश्रा | Published: May 30, 2018 04:25 PM2018-05-30T16:25:12+5:302018-05-30T16:25:12+5:30
Palghar, Bhandara, Gondiya By Election 2018:नरेंद्र मोदी के नाम को लेकर जनता में उठी लहर से साल 2014 में बीजेपी सत्ता पर काबिज हुई और उसने लोकसभा की 282 सीटों पर कब्जा किया।
नई दिल्ली, 30 मईः महाराष्ट्र के पालघर, भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए साख का सवाल हैं इसलिए उसने चुनाव प्रचार के दौरान पूरी ताकत झोंक दी। इन चुनावों के परिणाम 31 मई को आने वाले हैं और अगर परिणाम बीजेपी की खिलाफ आते हैं तो लोकसभा चुनाव में मिला पूर्ण बहुमत हाथ से चला जाएगा। दरअसल, बीजेपी के पास इस समय लोकसभा की 273 सीटें हैं और पूर्ण बहुमत के लिए कम से कम 272 सीटें चाहिए, ऐसे में उनके लिए यह चुनाव अहम हो जाता है।
साल 2014 में बीजेपी ने 282 सीटें
नरेंद्र मोदी के नाम को लेकर जनता में उठी लहर से साल 2014 में बीजेपी सत्ता पर काबिज हुई और उसने लोकसभा की 282 सीटों पर कब्जा किया। इसके बाद कई तमाम कारणों के चलते कई लोकसभा सीटों पर उपचुवाव हुई, जिसमें बीजेपी 282 सीटों से खिसक कर 273 पर जा पहुंची। हाल ही में हुए उपचुनाव में पार्टी को उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर करारी हार मिली, जिसके बाद से उसके लिए ये दोनों सीटें खास हो गई हैं।
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शिवसेना ने इन पर लगाया दांव
पालघर की लोकसभा सीट सांसद चिंतामन वनगा के निधन के कारण खाली हो गई थी। उपचुनाव में बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना ने दिवंगत सांसद के पुत्र श्रीनिवास को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है, जिससे कि सहानुभूति का लाभ हासिल किया जा सके। यह सीट शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के लिए भी एक मुख्य परीक्षा है क्योंकि उन्होंने बीजेपी के खिलाफ चिंतामन वनगा के बेटे को मैदान में उतारकर जुआ खेला है।
बीजेपी ने राजेन्द्र गावित को बनाया प्रत्याशी
पालघर से बीजेपी ने इस सीट से कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके राजेन्द्र गावित को अपना प्रत्याशी बनाया है। अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित इस सीट से माकपा ने किरण राजा गहला को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व सांसद दामू सिंगाड़ा पर अपना दांव लगाया है। बहुजन विकास अघादि भी चुनाव मैदान में है और उसने पूर्व सांसद बलीराम जाधव को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर मुख्य मुकाबला शिवसेना और बीजेपी के बीच में है।
ऐसे खाली हुई भंडारा-गोंदिया सीट
भंडारा-गोंदिया सीट पहले से ही बीजेपी के पास थी, लेकिन राजनीति उठापटक के चलते बीजेपी सांसद पाना पटोले के पिछले वर्ष इस्तीफा देकर कांग्रेस में चले जाने के कारण यहां उपचुनाव हुए हैं। भंडारा-गोंदिया सीट से 18 प्रत्याशी मैदान में हैं। कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ गठबंधन करने का फैसला किया और एनसीपी भंडारा-गोंदिया सीट से चुनाव लड़ रही है। इस सीट पर मुख्य लड़ाई बीजेपी के हेमंत पाटले और एनसीपी के मधुकर कुकडे के बीच है। यहां 8 निर्दलीय उम्मीदवारों के अलावा अन्य 8 दलों के उम्मीदवार भी मुकाबला कर रहे हैं।
बीजेपी-शिवसेनाः 'एक-दूसरे के बिना नहीं चल सकता काम'
इस समय बीजेपी और शिवसेना के बीच खटास बढ़ गई है। लेकिन, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का एक कार्यक्रम में कहना था कि बीजेपी और शिवसेना में कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन दोनों का एक-दूसरे के बिना काम नहीं चल सकता। हालांकि वह चाहते हैं कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन चलता रहे। उनका मानना था कि भगवा गठबंधन में कोई वैचारिक मतभेद नहीं है। राजनीति में कोई स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता है। यह गठबंधन (शिवसेना प्रमुख) दिवंगत बाल ठाकरे और (बीजेपी के दिवंगत नेता) प्रमोद महाजन ने हिंदुत्व के मुद्दे पर किया था और दोनों पार्टियों के बीच कोई वैचारिक मतभेद नहीं हैं। मैं चाहता हूं कि गठबंधन चलता रहे।
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