विधान परिषद सीटः जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी ने किया दावा, एनडीए की बढ़ी मुश्किल, दोनों को चाहिए एमएलसी सीट
By एस पी सिन्हा | Published: February 17, 2021 06:49 PM2021-02-17T18:49:26+5:302021-02-17T18:51:47+5:30
बिहार में एनडीए सरकार पर आफत है। पू्र्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी ने विधान परिषद की एक-एक सीट पर दावा ठोंका है।
पटनाः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी अध्यक्ष जीतन राम मांझी और वीआईपी अध्यक्ष मुकेश साहनी ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा दीं।
जीतन राम मांझी अभी भी यह आस लगाए बैठे हैं कि विधान परिषद की एक सीट उनकी झोली में आएगी। अब एकबार फिर से उन्होंने इसकी मांग रख दी है। दरअसल, राज्यपाल कोटा से 12 विधानसभा पार्षदों का मनोनयन होना है, जिसको लेकर मांझी ने यह मांग रखी है। उन्होंने एक मंत्री पद और विधान परिषद की सीट मांग ली है।
आज एक बार फिर से जीतन राम मांझी ने अपनी बात खुलकर रखते हुए कहा कि राज्यपाल के मनोनयन से भरी जाने वाली एक सीट की मांग की। पहले एक और मंत्री के साथ-साथ एमएलसी सीट की मांग कर रहे थे। लेकिन मंत्रिमंडल का विस्तार तो हो गया और उसमें उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी।
नीतीश कुमार इस पर विचार करेंगे
लेकिन राज्यपाल कोटे से मनोनयन वाली एक सीट पर उनकी निगाहें टिकी हुई हैं। जीतन राम मांझी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नीतीश कुमार इस पर विचार करेंगे। बता दें कि वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी भी नीतीश मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से काफी नाराज थे, जिसके बाद उन्होंने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की थी। वहीं अब सहनी ने भी नीतीश कुमार से एक सीट की मांग रख दी है।
मांझी ने अपने विधान पार्षद बेटे को मंत्री बनवा दिया
वह विधान परिषद की एक सीट की मांग पर अडे़ हुए हैं। उल्लेखनीय है कि जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार के साथ मिलकर 7 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इसमें चार विधायक जीत कर आए हैं। इसके एवज में मांझी ने अपने विधान पार्षद बेटे को मंत्री बनवा दिया है।
बेटे को सेट करने के बाद मांझी की पूरी कोशिश है की विधानसभा चुनाव हार चुके दामाद को सेट किया जाए, इसको लेकर पूरा जोर आजमाइश कर रहे हैं। इस तरह से मांझी और सहनी के दबाव की राजनीति पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपनी पैनी नजर जमाये हुए हैं। इस संबंध में आज पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछा तो वह बिना कुछ कहे चलते बने। बस इतना कहा वक्त का इंतजार किजिये, सबकुछ हमारे हाथ में नहीं है, समय आने पर सबकुछ स्पष्ट हो जायेगा।