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गलवान घाटी के मसले पर PM मोदी से वर्चुअल नहीं प्रत्यक्ष मुलाकात चाहती थीं सोनिया गांधी, शरद पवार, स्टालिन ने सिरे से ठुकराया

By हरीश गुप्ता | Updated: June 22, 2020 06:56 IST

Galwan Valley: विदेश मंत्री एस. जयशंकर के विवाद की भूमिका बांधने के बाद सबसे पहले बोलते हुए सोनिया बैठक की दिशा तय करना चाहती थीं. न तो शरद पवार और न द्रमुक द्वारा साथ दिए जाने के कारण सोनिया अलग-थलग पड़ गईं.

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ठळक मुद्देप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सर्वदलीय बैठक में प्रत्यक्ष मुलाकात के कांग्रेस के प्रस्ताव का किसी विपक्षी दल ने समर्थन नहीं किया. कांग्रेस चाहती थी कि गलवान घाटी के मसले पर प्रधानमंत्री वर्चुअल मीटिंग की बजाय सभी नेताओं से प्रत्यक्ष मुलाकात करें.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सर्वदलीय बैठक में प्रत्यक्ष मुलाकात के कांग्रेस के प्रस्ताव का किसी विपक्षी दल ने समर्थन नहीं किया. कांग्रेस चाहती थी कि गलवान घाटी के मसले पर प्रधानमंत्री वर्चुअल मीटिंग की बजाय सभी नेताओं से प्रत्यक्ष मुलाकात करें. राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने प्रस्ताव को सिरे से ठुकराते हुए कहा, ''वर्चुअल मीटिंग प्रत्यक्ष मुलाकात जितनी ही बेहतर होती है, खासतौर पर कोविड-19 महामारी के वक्त में.''राकांपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर लोकमत समूह को बताया कि पवार साहब ने याद दिलाया कि खुद सोनिया गांधी ने 22 मई को 22 नेताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग की थी. भाकपा के सचिव डी. राजा ने फोन पर पुष्टि करते हुए कहा, ''मुझे निजी तौर पर प्रत्यक्ष मुलाकात में कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन अन्य नेताओं की शायद ऐसी इच्छा नहीं थी.''

द्रमुक नेता स्टालिन भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की इस ख्वाहिश से सहमत नहीं थे. सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक के लिए प्रमुख दलों को निमंत्रण भेजे जाने के बाद सोनिया के नजदीकी नेताओं ने स्टालिन से प्रत्यक्ष मुलाकात कर इस मुद्दे पर सहयोग मांगा था, लेकिन कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली.

सोनिया गांधी पड़ीं अलग-थलग 

माना जा रहा है कि भारत-चीन के बीच हिंसक झड़प पर कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी द्वारा अपनाए गए रुख से भी विपक्षी दल असहज थे. यह उस वक्त और साफ हो गया जब आक्रामक सोनिया कड़े सवालों के साथ अकेले हमला बोलते हुए सरकार पर नाकामी के आरोप लगा रही थीं.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर के विवाद की भूमिका बांधने के बाद सबसे पहले बोलते हुए सोनिया बैठक की दिशा तय करना चाहती थीं. न तो शरद पवार और न द्रमुक द्वारा साथ दिए जाने के कारण सोनिया अलग-थलग पड़ गईं.

पवार ने कहा, ''सैनिकों के पास हथियार थे या नहीं, जैसे मुद्दे अंतरराष्ट्रीय समझौतों से तय किए जाते हैं. हर किसी को ऐसे संवेदनशील मामलों का सम्मान करना चाहिए.'' जाहिर तौर पर वह खुद को राहुल गांधी द्वारा अपनाए गए रुख से अलग कर रहे थे. स्टालिन ने भी अधिकांश विपक्षी दलों के साथ इस मुद्दे पर सरकार का ही समर्थन किया.

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