नागपुरः विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फड़नवीस ने कहा है कि मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने ही सरकार को पत्र नहीं लिखा है.
पूर्व महानिदेशक सुबोध जायसवाल ने भी सरकार को रिपोर्ट भेजी है. इसकी जांच के बाद पुलिस में तबादलों का रैकेट होने की बात उजागर हुई थी. इसके सबूत मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री को भी दिए गए. लेकिन इस रिपोर्ट को सरकार ने छिपा कर रखा है. रविवार को यहां आयोजित पत्रपरिषद दौरान फड़नवीस बोल रहे थे.
उन्होंने बताया कि गुप्तवार्ता की तत्कालीन आयुक्त रश्मि शुक्ला ने यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजा था. वहां से वह गृह मंत्री के पास गया. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अधीन रहकर कुछ फोन पुलिस ने सर्विलांस पर रखे थे. इसी से यह मामले उजागर हुए थे. लेकिन इस रिपोर्ट पर कोई एक्शन नहीं लिया गया.
दूसरी ओर जिन पर आरोप थे, उन्हीं अधिकारियों को पोस्टिंग दी गई. सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं दिखाई. यही कारण था कि एक के बाद एक राज्य के वरिष्ठ अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में चले गए. परमबीर सिंह के पत्र मामले में शरद पवार ने सेवानिवृत्त महानिदेशक ज्युलियो रिबेरो से जांच कराने की बात की है.
रिबेरो अच्छे और कुशल अधिकारी हैं. लेकिन कई साल पूर्व सेवानिवृत्त हुए महानिदेशक रैंक के अधिकारी से राज्य के गृहमंत्री की जांच कैसे कराई जा सकती है? ऐसा सवाल भी उन्होंने इस समय किया. फड़नवीस ने यह मांग भी कि गृह मंत्री का इस्तीफा पहले लिया जाए, इसके बाद ही न्यायालय की निगरानी में मामले की जांच कराई जाए.
मुख्यमंत्री, गृह मंत्री को नियम नहीं पता? राकांपा प्रमुख शरद पवार यह जानकारी दे रहे हैं कि परमबीर सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सचिन वाझे को नौकरी में लिया था लेकिन शरद पवार यह बताना भूल गए है कि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के निर्देश के बाद ही सिंह ने ऐसा किया है. किसी भी निलंबित अधिकारी को वापस लेने पर उसे महत्वपूर्ण पद नहीं दिया जा सकता.
क्या यह नियम मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को नहीं पता था? गृह विभाग कौन चला रहा है? फड़नवीस ने कहा कि शरद पवार इस सरकार के निर्माता हैं इसीलिए वह सरकार का पक्ष ले रहे हैं. लेकिन गृह विभाग अनिल देशमुख चला रहे है या शिवसेना के अनिल परब. सदन में गृह विभाग के मामले में हमेशा परब ही बोलते हैं इसलिए नियुक्तियों में किसका हाथ है, यह पता चलना जरूरी है.