राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने में ये है सबसे बड़ा रोड़ा, टूट सकता है हसीन सपना!
By राहुल मिश्रा | Published: August 6, 2018 10:34 AM2018-08-06T10:34:30+5:302018-08-06T10:39:50+5:30
पिछले कुछ महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में तेजी से गिरावट आई है, जबकि राहुल गांधी की लोकप्रियता में काफी हद तक सुधार हुआ है, लेकिन...
नई दिल्ली, 6 अगस्त: देश की राजनीतिक और 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर थिंक टैंक और कुछ मीडिया घरानों द्वारा किए गए हालिया सर्वेक्षण इस ओर इशारा करते हैं कि भारतीय जनता पार्टी आने वाले लोकसभा चुनावों में पिछले चुनावों की तुलना में कुछ कम सीटों पर सिमटने वाली है। इन सर्वेक्षणों ने मोदी और बीजेपी विरोधी खेमे को और खासतौर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को काफी उत्साहित कर दिया है।
सर्वेक्षण बताता है कि पिछले कुछ महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में तेजी से गिरावट आई है, जबकि राहुल गांधी की लोकप्रियता में काफी हद तक सुधार हुआ है। लोग अब राहुल के भाषणों पर हूटिंग न करके तालियाँ बजाने लगे हैं! मामला ताजा है, इसलिए हमने भी इस सवाल का जवाब टटोलने की कोशिश की, कि क्या राहुल गांधी सच में आने वाले इन लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्कर देकर प्रधानमंत्री बन पाएंगे?
हमने इस सवाल का जवाब ज्योतिष शास्त्री से जानने की कोशिश की है कि क्या राहुल गांधी की कुंडली में देश का प्रधानमंत्री बनने का योग है? हालांकि प्रधानमंत्री बनना या सफलता हासिल करने का राज कुंडली में नहीं इंसान की मेहनत में छुपा हुआ है लेकिन जब देश का मूड ही मोदी-राहुल और राजनीति के इर्द-गिर्द मंडरा रहा है तो क्यों न कुंडली का योग भी जान लिया जाए!
इसी के तहत हमने ऋषिकेश के जाने-माने ज्योतिष एवं कर्मकांड विशेषज्ञ प. अतुल शास्त्री से इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश की। अतुल शास्त्री ने राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर बताया कि ग्रहों एवं गणित फलित के अनुसार उनके प्रधानमंत्री बनने के प्रबल योग नजर नहीं आ रहे हैं, इसलिए पनघट की राह कठिन नजर आ रही है। इसके पीछे की वजह को बताते हुए उन्होंने बताया कि राहुल गांधी आत्मबली, मनोबली एवं हंसमुख तो हैं लेकिन उनकी विफलता का सबसे बड़ा कारण यह है कि वे बहुआयामी हैं जिस कारण उनकी शक्ति बहुत दिशाओं में विभक्त हो जाती है, अगर वो एक दिशा में प्रयास करें तो सफलता मिल सकती है।
अब अगर कुंडली को परे रख पिछले कुछ समय की बात करें तो भले ही नरेंद्र मोदी कई विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे हैं, विभिन्न राज्यों में बीजेपी सरकारों के खिलाफ एंटी-इनकमबेंसी का माहौल है। फिर भी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अभी तक वो राजनीतिक कद नहीं बना पाए हैं, जो उन्हें नरेंद्र मोदी का सहज विकल्प बना सके। अब देखना होगा और इंतजार करना होगा 2019 चुनावों का कि राजनीति का ये ऊंट किस करवट बैठता है!
वहीं अगर कांग्रेस के महागठबंधन की बात करें तो गठबंधन की अधिकतर पार्टियों में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारी पर राहुल गांधी के नाम की सहमति भी नहीं बन पाई है। इसलिए ये भी गौर करने योग्य है कि क्या महागठबंधन एकमत होकर राहुल गांधी के नाम पर विचार करेगा या नहीं?
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