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फुल्का के इस्तीफे पर कुमार विश्वास का केजरीवाल को तंज- 'मंडित नीचता के नाम एक शानदार योद्धा की कुर्बानी मुबारक'

By पल्लवी कुमारी | Updated: January 4, 2019 12:14 IST

आम आदमी पार्टी के नेता एस फुल्का ने एक ट्वीट कर कहा कि वह शुक्रवार को दिल्ली में एक प्रेस कान्फ्रेंस में इस कदम के पीछे की वजह बताएंगे। उन्होंने टि्वटर पर लिखा, ‘‘मैंने आप से इस्तीफा दे दिया और आज केजरीवाल जी को इस्तीफा सौंप दिया।

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वरिष्ठ अधिवक्ता और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एच एस फुल्का ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया।  एच एस फुल्का ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी है। वरिष्ठ नेता एच एस  फुल्का के इस्तीफे के बाद प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया,  ''आत्ममुग्ध असुरक्षित बौने की निजी अंहकार मंडित नीचता के नाम एक और खुद्दार-शानदार योद्धा की ख़ामोश क़ुरबानी मुबारक हो ! अपनी स्वराज वाली बची-खुची एक आँख फोड़कर सत्ता के रीढ़विहीन “अंधों का सरदार” बनना वीभत्स और कायराना है।''

एचएस फुल्का के इस्तीफे के बाद विधायक अलका लांबा ने भी लिखा है, ''तीन तरह के लोग: एक वो जो 2012 से पहले थे, एक वो जो 2012 के बाद आये, एक वो जो 2015 के बाद आये, 2012 के पहले वाले गए तो अधिक नुकसान होगा, 2012 के बाद वाले गए तो नुकसान होगा, 2015 के बाद वाले गए तो नुकसान नही होगा। आंकलन करने की जरूरत। संगठन से सरकार बनती है, सरकार से संगठन नहीं।''

इसलिए एचएस फुल्का ने दिया इस्तीफा

इस साल लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की संभावना को लेकर चल रही अटकलों के बीच यह कदम सामने आया है। एच एस फुल्का ने एक ट्वीट कर कहा कि वह शुक्रवार को दिल्ली में एक प्रेस कान्फ्रेंस में इस कदम के पीछे की वजह बताएंगे।उन्होंने टि्वटर पर लिखा, ‘‘मैंने आप से इस्तीफा दे दिया और आज केजरीवाल जी को इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि उन्होंने मुझे इस्तीफा ना देने के लिए कहा लेकिन मैं इस पर कायम रहा। कल शाम चार बजे नयी दिल्ली के रायसीना रोड पर प्रेस क्लब में मीडिया को आप छोड़ने की वजह और आगे की योजनाओं के बारे में बताऊंगा।’’ वकील से नेता बने  एच एस फुल्का ने 2015 में पंजाब में बेअदबी के मामलों में आरोपियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग को लेकर अक्टूबर में आप विधायक पद से इस्तीफ दे दिया था। वह लुधियाना की दाखा सीट से विधायक थे।उन्होंने यह दावा करते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था कि पंजाब में कांग्रेस सरकार ने बेअदबी की घटनाओं पर न्यायाधीश रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट में नामित लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की।आप ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज नहीं किया। आप ने कहा कि उसकी राजनीतिक मामलों की समिति दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के कायकर्ताओं तथा अपने नेताओं की राय पर विचार करने के बाद कोई फैसला लेगी।इससे पहले नई दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ बैठक में आप नेताओं और पंजाब के कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की किसी भी संभावना पर चिंता जताई। पंजाब में आप मुख्य विपक्षी दल है लेकिन 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद निर्वाचित हुए 20 प्रत्याशियों में से आठ ने पिछले साल सुखपाल सिंह खैरा के नेतृत्व में एक बागी समूह बना लिया था।फुल्का ने पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद से भी इस्तीफा दे दिया था ताकि वह अदालतों में 1984 के सिख रोधी दंगों के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर सकें। सूत्रों ने दावा किया कि फूलका किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं लेकिन उन्होंने अभी पुष्टि नहीं की।

(पीटीआई इनपुट के साथ)

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