दिल्ली की राजनीति उस वक्त गरमा गई जब निर्वाचान आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने की सिफारिश की। निर्वाचन आयोग के मुताबिक संसदीय सचिव के रूप में 'लाभ का पद' के चलते आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चुनाव आयोग की अनुशंसा पर अंतिम मुहर लगानी है। चुनाव आयोग के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए आम आदमी पार्टी ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। जबकि कांग्रेस और बीजेपी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की है। लेकिन केवल दिल्ली में ही ऐसे पद पर विधायक विराजमान रहे हैं। आइए एक बीजेपी शासित और एक कांग्रेस शासित राज्य का हाल देखें।
छत्तीसगढ़: बीजेपी के 11 विधायक 'लाभ का पद' के मामले में फिलहाल आम आदमी पार्टी पर गाज गिरी है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ भी इस तरह का एक्शन लिया जाएगा। मामला सुर्खियों में आने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने झंडा बुलंद करते हुए कहा है कि रमन सरकार में 11 ऐसे विधायक हैं जो 'लाभ का पद' पर हैं। ये सभी विधायक संसदीय सचिव बने हुए हैं। इन विधायकों को अलग से भत्ता और विशिष्ट सुविधाएं दी जा रही है। 90 सीटों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में बीजेपी के 49 विधायक है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 39 विधायक हैं। अगर दिल्ली की तरह चुनाव आयोग छ्त्तीसगढ़ में भी इन विधायकों को अयोग्य मानता है तो राज्य की सरकार की स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी।
कर्नाटक: कांग्रेस के 10 विधायककर्नाटक में सत्ताधारी कांग्रेस के खिलाफ भी विरोधियों के सुर बुलंद होने शुरू हो गए हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सरकार में 10 विधायक 'लाभ का पद' पर आसीन है। नियमों के उलट मुख्यमंत्री द्वारा इनकी नियुक्ति नवंबर 2015 में की गई जो अब तक विशिष्ट सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं।
बता दें कि जून 2016 में कांग्रेस की एक शिकायत के बाद आप के 20 विधायकों के खिलाफ निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति को अपनी राय दी है। अगर इन विधायकों की विधायकी निरस्त की जाती है तो 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा की 20 सीटों पर उपचुनाव होगा। फिलहाल सदन में आप के 66 सदस्य सदन हैं। बाकी चार सीटें बीजेपी के पास हैं।