Jharkhand Politics News: राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला दिलचस्प, शिबू सोरेन की जीत पक्की!
By एस पी सिन्हा | Published: March 13, 2020 07:48 PM2020-03-13T19:48:41+5:302020-03-13T19:48:41+5:30
झारखंड में राज्यसभा की एक सीट निकालने के लिए 27 विधायकों की आवश्यकता है. इस लिहाज से महागठबंधन को 54 विधायकों का समर्थन चाहिए.
रांची: झारखंड में राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के द्वारा अपने उम्मीदवार को उतार दिये जाने के बाद यहां चुनाव दिलचस्प हो गया है. भाजपा प्रत्याशी के तौर पर दीपक प्रकाश ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया तो वहीं, शहजादा अनवर ने भी बतौर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया. इसतरह अब चुनाव को रोचक बना दिया गया है.
झारखंड में दो सीटों के लिए तीन प्रत्याशियों में भिडंत हो रही है. झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की जीत पक्की मानी जा रही है. मुकाबले में भाजपा की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है. झामुमो के विधायकों के आंकडों का मौजूदा गणित बताता रहा है कि झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के उच्च सदन पहुंचने में कहीं कोई दिक्कत नहीं है. मुकाबला दूसरी सीट पर भाजपा और कांग्रेस में होगा.
यहां भी कांग्रेस के मुकाबले भाजपा संख्या बल के आधार पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है. हालांकि झारखंड में राज्यसभा चुनाव ने कई बार अप्रत्याशित परिणाम दिए हैं, इसे देखते हुए अभी से कोई कयास लगाना जल्दबाजी होगी. हालांकि शहजादा अनवर अपनी जीत का दावा करते हुए कहते हैं कि काफी गहन मंथन के बाद उन्हें टिकट दिया गया है. उन्हें उम्मीद है कि न सिर्फ सत्तापक्ष, बल्कि विपक्ष से समर्थन मिलेगा. अनुमान के मुताबिक कांग्रेस ने अल्पसंख्यक को मैदान में उतारा है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार शहजादा अनवर साल 2007 में कांग्रेस से जुडे. वह दो बार, 2009 और 2014 में रामगढ से विधानसभा चुनाव लड चुके हैं, लेकिन जीत नहीं पाए. कांग्रेस से पहले झामुमो के सदस्य रह चुके हैं. इधर, पिता फुरकान अंसारी का पत्ता कटने से नाराज कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा है कि किसी भी सूरत में शहजादा को जीत नहीं मिलेगी. प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समाज को छलने की कोशिश की गई है. राहुल गांधी को सही फीडबैक नहीं दिया गया.
यहां उल्लेखनीय है कि झारखंड में राज्यसभा की एक सीट निकालने के लिए 27 विधायकों की आवश्यकता है. इस लिहाज से महागठबंधन को 54 विधायकों का समर्थन चाहिए. कांग्रेस, झामुमो व राजद का संयुक्त संख्या बल 49 (प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के कांग्रेस में शामिल होने के बाद) है. यदि एनसीपी के विधायक कमलेश सिंह का भी साथ मिला तो भी आंकडा 50 तक ही सीमित रहेगा. यहां निर्दलीय सरयू राय, अमित यादव और माले विधायक विनोद सिंह की भूमिका अहम होगी.
वैसे, सरयू राय और विनोद सिंह ने चुनाव के बाबत अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है कि वे वोट करेंगे या नहीं? अमित यादव पर भाजपा की भी निगाहें हैं. जाहिर है 54 का आंकडा आसान नहीं दिख रहा है. सरयू राय ने स्वस्थ परंपरा की वकालत करते हुए तीसरा उम्मीदवार नहीं उतारने का अनुरोध किया था. ऐसे में उनके रुख पर भी नजर होगी. बात भाजपा की करें तो बाबूलाल मरांडी के मिलने के बाद विधायकों की संख्या 26 हो जाती है. आजसू के दो विधायकों का साथ मिला तो संख्या बल 28 होगा जो कि आसानी से बहुमत को दर्शाता है.
विशेष परिस्थिति में यदि भाजपा विधायक ढुलू महतो वोट देने से वंचित रहते हैं तो भी बहुमत का आंकड़ा 27 तक पहुंच जाएगा. रही सही कसर द्वितीय वरीयता के वोट से पूरी हो जाएगी. हालांकि द्वितीय वरीयता के वोट का गणित कुछ कठिन है, लेकिन सामान्य भाषा में समझें तो तीन विधायकों के द्वितीय वरीयता का वोट एक वोट की हैसियत के करीब पहुंच जाता है.
जाहिर है भाजपा की सीट पूरी तरह से आजसू के रुख पर निर्भर है. आजसू ने संसदीय दल की बैठक में राज्यसभा चुनाव के बाबत निर्णय लेने की बात कही है. इसतर्ह से आंकडे दीपक प्रकाश के पक्ष में दिख रहे हैं. 26 मार्च को ही राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान के साथ-साथ नतीजे भी घोषित हो जाएंगे.