Jharkhand: राज्य के 19 साल के राजनीतिक इतिहास में कोई भी सत्ताधारी पार्टी सत्ता में नहीं कर सकी वापसी

By एस पी सिन्हा | Published: December 24, 2019 04:30 AM2019-12-24T04:30:37+5:302019-12-24T04:30:37+5:30

झामुमो का प्रदर्शन लगातार सुधरा. 2005 में उसे 14.29 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2009 में 15.2 और 2014 में 20.43 फीसदी मत मिले. कांग्रेस को 2005 में 12.05 फीसदी मत मिले थे, जबकि 2009 में अब तक का सबसे ज्यादा 16.16 फीसदी मत उसे हासिल हुआ. वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 10.46 फीसदी मत मिले, जो झाविमो के मत प्रतिशत से थोडा सा ज्यादा है.

Jharkhand: No ruling party could return to power in the state's 19-year political history | Jharkhand: राज्य के 19 साल के राजनीतिक इतिहास में कोई भी सत्ताधारी पार्टी सत्ता में नहीं कर सकी वापसी

Jharkhand: राज्य के 19 साल के राजनीतिक इतिहास में कोई भी सत्ताधारी पार्टी सत्ता में नहीं कर सकी वापसी

Highlightsभाजपा का वोट प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में इस बार ज्यादा रहा.एकजुट महागठबंधन चुनाव प्रचार के दौरान लगातार स्थानीय मुद्दों और आदिवासी हितों को उछालता रहा.

झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में सबसे ज्यादा वोट लाकर भी भाजपा सत्ता से हाथ धो बैठी. वैसे, वर्ष 2000 में आस्तित्व में आए झारखंड के 19 साल के राजनीतिक इतिहास में कोई भी सत्ताधारी पार्टी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी है. राज्य के 19 साल के राजनीतिक इतिहास में आज तक ऐसा कोई मुख्यमंत्री नहीं रहा, जो चुनाव जीतकर फिर सत्ता पर काबिज हो पाया हो. हालांकि राज्य के पहले गैर- आदिवासी मुख्यमंत्री रघुवर दास झारखंड के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.

झारखंड विधानसभा में भाजपा के पिछडने और पहले से खराब प्रदर्शन के पीछे कई वजह बताई जा रही है. जैसे चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय मुद्दों की बजाय राष्ट्रीय मुद्दों को उछालना, गैर आदिवासी मुख्यमंत्री चेहरा, आदिवासियों को नाराज करना, सरयू राय जैसे कद्दावर नेताओं की बगावत जैसे कई कारण सामने आये हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव विपक्ष एकजुट नहीं था लेकिन इस बार एकुजट था.

चुनाव से काफी पहले झामुमो, कांग्रेस और राजद ने महागठबंधन बना लिया था. बेहतर तालमेल से महागठबंधन मतदान से काफी पहले सीटों का बेहतर ढंग से बंटवारा कर पाया. जबकि भाजपा के बडे नेताओं ने पूरे झारखंड के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों पर ही बात की. जिसका परिणाम यह है कि यह मतदाताओं को पसंद नहीं आया. इस बार चुनाव पिछले बार से 1.3 प्रतिशत कम मतदान दर्ज किया गया था. तीसरे चरण के बाद हुए चुनावी प्रचार में एनआरसी जैसे मुद्दे भी छाए रहे.

राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी होने की भी बातें अधिकांश रैली में हुई. वहीं दूसरी तरफ एकजुट महागठबंधन चुनाव प्रचार के दौरान लगातार स्थानीय मुद्दों और आदिवासी हितों को उछालता रहा. इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा हुआ है. वोट भी बढा और सीटें भी बढी. लेकिन झामुमो का वोट प्रतिशत तो कम हुआ, लेकिन उसकी सीटों में इजाफा हुआ है.

पिछले तीन चुनावों में लगातार झामुमो का वोट शेयर बढा था, लेकिन इस बार उसका मत प्रतिशत 31 फीसदी से घटकर 18.70 फीसदी रह गया. कांग्रेस 11 फीसदी से बढकर 13.77 फीसदी पर पहुंच गई. वहीं, राजद, जिसे 2014 के चुनावों में 3.00 फीसदी मत मिला था, इस बार 2.89 फीसदी पर सिमटकर रह गई.

भाजपा का वोट प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में इस बार ज्यादा रहा

दूसरी तरफ, भाजपा का वोट प्रतिशत पिछले चुनाव में मिले कुल 31 फीसदी की तुलना में इस बार ज्यादा रहा. पार्टी को इस बार 33.7 फीसदी वोट मिले, लेकिन उसकी सीटों की संख्या 33 से घटकर 30 पर आ गई. दूसरी तरफ, झामुमो की सीटें 17 से बढकर 24, कांग्रेस की 6 से 14 और राजद की 0 से 3 हो गई. झारखंड की सभी 81 सीटों पर उम्मीदवार खडे करने वाली बाबूलाल मरांडी की पार्टी झाविमो-पी के वोट शेयर के साथ-साथ सीटों में भी गिरावट आई है. वर्ष 2014 के चुनाव में उनकी पार्टी को 10 फीसदी वोट मिले थे और उनके 8 विधायक चुने गये थे. इस बार उन्हें सिर्फ 5.23 फीसदी वोट मिले और उनके मात्र 3 प्रत्याशी जीतते हुए दिख रहे हैं. सुदेश महतो की पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी पहली बार भाजपा से अलग होकर चुनाव लडी और उनके वोट प्रतिशत में 100 फीसदी का इजाफा हुआ. इस बार पार्टी को 8.40 फीसदी वोट मिले. लेकिन, उनकी सीटों की संख्या घट गई. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने वाली आजसू पार्टी को इस बार सिर्फ 3 सीटें जीतती दिख रही है.

झारखंड विधानसभा में 28 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व है

यहां उल्लेखनीय है कि 81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में 28 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व है. महागठबंधन (झामुमो, कांग्रेस, राजद) ने मुख्यमंत्री का उम्मीदवार (हेमंत सोरेन) आदिवासी को ही बनाया. दूसरी तरफ भाजपा के रघुवर दास गैर-आदिवासी हैं. ऐसे में आदिवासी वोट बीजेपी के खिलाफ गोलबंद हुआ. 2019 लोकसभा चुनाव में झारखंड की कुल 14 में 12 सीटें भाजपा ने जीती थी. लेकिन पिछले कुछ चुनावों में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में वोट देने का पैटर्न अलग-अलग रहा है. इसतरह से वर्ष 2014 तक झारखंड के विधानसभा चुनावों में झामुमो के प्रदर्शन में लगातार सुधार हुआ, तो झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) और राजद की स्थिति चुनाव दर चुनाव खराब होती गई. वहीं, दो राष्ट्रीय पार्टियों भाजपा और कांग्रेस को चुनावों में उतार-चढाव का सामना करना पडा. भाजपा ने दो चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया, तो कांग्रेस सिर्फ एक चुनाव में दहाई का आंकडा पार कर पाई. राज्य में इसके पहले जो तीन बार विधानसभा चुनाव (2005, 2009 और 2014 में) हुए, उनमें झामुमो को वर्ष 2005 में 17, वर्ष 2009 में 18 और वर्ष 2014 में 19 सीटों पर जीत मिली. वहीं, वर्ष 2006 में पार्टी के गठन के बाद झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक ने पहली बार वर्ष 2009 में चुनाव लडा. इस चुनाव में उसे 11 सीटें मिलीं, तो 2014 में उसकी सीटें घटकर 8 रह गईं.

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भाजपा को हुआ 10 सीटों का नुकसान

इसी तरह लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद 7 से 1 पर आ गया. वर्ष 2005 में राजद ने 7 सीटें जीती थीं. 2009 में उसने 5 सीटें जीतीं जबकि 2014 में 0 पर आ गया. वहीं, कांग्रेस ने वर्ष 2005 में 9 सीटें जीती, जबकि 2009 में उसके 14 प्रत्याशी विधानसभा पहुंचे. वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे खराब रहा. उसके सिर्फ 6 उम्मीदवार ही चुनाव जीत सके. वहीं, भाजपा ने वर्ष 2014 में सबसे ज्यादा 35 सीटें जीतीं. 2005 में भाजपा 30 और वर्ष 2009 में सिर्फ 18 सीटें जीत पाई थी. हालांकि भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू के प्रदर्शन में भी सुधार देखा गया. वर्ष 2005 के चुनाव में उसने सिर्फ 2 सीटें जीती थीं, जबकि वर्ष 2009 और 2014 के चुनावों में 5-5 सीटें जीतीं. दूसरी तरफ, अन्य दलों की स्थिति भी धीरे-धीरे खराब होती गई. इन दलों का सबसे बढीया प्रदर्शन वर्ष 2005 में रहा था. तब सबने मिलकर 16 सीटें जीती थी. वर्ष 2009 में ये लोग 10 पर सिमट गये और 2014 में 6 सीटों पर रह गई. 

झामुमो के प्रदर्शन में लगातार सुधार

प्राप्त जानकारी के अनुसार मत प्रतिशत के मामले में भी झामुमो का प्रदर्शन लगातार सुधरा. 2005 में उसे 14.29 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2009 में 15.2 और 2014 में 20.43 फीसदी मत मिले. कांग्रेस को 2005 में 12.05 फीसदी मत मिले थे, जबकि 2009 में अब तक का सबसे ज्यादा 16.16 फीसदी मत उसे हासिल हुआ. वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 10.46 फीसदी मत मिले, जो झाविमो के मत प्रतिशत से थोडा सा ज्यादा है. हालांकि अन्य दलों के मत प्रतिशत में भी लगातार गिरावट दर्ज की गई. वर्ष 2005 में इन दलों को 38.8 फीसदी मत मिले थे, जबकि वर्ष 2009 और 2014 में इनका मत प्रतिशत घटकर क्रमश: 29.32 और 21.05 फीसदी रह गया. वहीं, भाजपा ने वर्ष 2005 में 23.57 फीसदी मत प्रतिशत हासिल किये थे, जो वर्ष 2009 में 20.18 फीसदी रह गया. लेकिन, वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया और 31.26 फीसदी वोट शेयर के साथ सबसे बडी पार्टी बनकर उभरी.

English summary :
Jharkhand: No ruling party could return to power in the state's 19-year political history


Web Title: Jharkhand: No ruling party could return to power in the state's 19-year political history

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