झारखंड चुनावः पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और एक्स मंत्री हरिनारायण को झटका, चुनाव लड़ने की अनुमति देने से इंकार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 15, 2019 07:14 PM2019-11-15T19:14:35+5:302019-11-15T19:14:35+5:30
न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमणियन की पीठ ने चुनाव खर्च का विवरण दाखिल नहीं करने के कारण 2017 में अयोग्य घोषित किये गये कोडा की याचिका पर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है। निर्वाचन आयोग ने कोड़ा को तीन साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया है।
उच्चतम न्यायालय ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को राज्य विधान सभा का आगामी चुनाव लड़ने की अनुमति देने से शुक्रवार को इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमणियन की पीठ ने चुनाव खर्च का विवरण दाखिल नहीं करने के कारण 2017 में अयोग्य घोषित किये गये कोडा की याचिका पर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है। निर्वाचन आयोग ने कोड़ा को तीन साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया है।
आयोग के इसी आदेश को कोड़ा ने चुनोती दी है। इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही कोड़ा के वकील ने कहा कि उन्हें अयोग्य घोषित करने के आदेश को अब दो साल हो चुके हैं और शीर्ष अदालत को उन्हें विधान सभा का आगामी चुनाव लड़ने की अनुमति देनी चाहिए।
पीठ ने इसकी अनुमति देने से इंकार करते हुये कहा, ‘‘आप खुद इस विलंब के लिये जिम्मेदार है। आप एक साल और इंतजार करें। हम इस समय आपको चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दे सकते। हमें दूसरे पक्ष (निर्वाचन आयोग) को भी सुनने की आवश्यकता है।’’
इसके साथ ही पीठ ने निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया। निर्वाचन आयोग ने कोड़ा को सितंबर, 2017 में तीन साल के लिये चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया था क्योंकि वह 2009 के लोकसभा चुनाव में हुये खर्च से संबंधित विवरण पेश करने में विफल रहे थे।
कोड़ा राज्य की सिंहभूमि संसदीय सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित हुये थे। निर्दलीय विधायक कोडा 2006 से 2008 के दौरान झारखंड के मुख्यमंत्री थे। उन्हें कोयला खदान आबंटन घोटाला मामले में दोषी ठहराते हुये तीन साल की कैद की सजा हुयी थी। वह धन शोधन मामलों में भी आरोपी हैं। राज्य सतर्कता विधाग ने भी उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में मामला दर्ज कर रखा है। कोडा को पहली बार राज्य सतर्कता विभाग ने 2009 में चाइबासा जिले से गिरफ्तार किया था।
झारखंड : पूर्व मंत्री हरिनारायण को उच्च न्यायालय से झटका, चुनाव नहीं लड़ सकेंगे
झारखंड के पूर्व मंत्री हरिनारायण राय को झारखंड उच्च न्यायालय से आज उस समय जोरदार झटका लगा जब न्यायमूर्ति आनंद सेन की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की विशेष अदालत से उन्हें मिली सजा पर रोक लगाने और चुनाव लड़ने की अनुमति मांगने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया।
साथ ही पीठ ने सजा के खिलाफ दायर याचिका पर जल्द सुनवाई करने के आग्रह को अस्वीकार कर दिया। इससे पहले पीठ ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था। पीठ ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “अति दुर्लभ मामलों में ही सजा पर रोक लगाई जा सकती है। याचिकाकर्ता पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। ऐसे में अगर उनकी सजा पर रोक लगाई जाती है तो समाज में गलत संदेश जाएगा। इसलिए उनकी याचिका को खारिज किया जाता है।”
उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार किसी व्यक्ति को दो वर्ष या इससे अधिक की कैद की सजा मिलने पर वह चुनाव नहीं लड़ सकता। सुनवाई के दौरान हरिनारायण राय के वकीलों ने पीठ को बताया कि नवजोत सिंह सिद्धू के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सजा पर रोक लगाई थी और उनके मामले में भी ऐसा किया जा सकता है, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय की विशेष अदालत ने तथ्यों पर गौर किए बिना ही उन्हें सजा सुनाई है।
प्रवर्तन निदेशालय के अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि ईडी की विशेष अदालत ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही इन्हें सजा सुनाई है और इसलिए याचिका को खारिज किया जाए। पूर्व मंत्री पर अपने पद का दुरुपयोग कर 3.72 करोड़ रुपये हवाला के जरिये हासिल करने और पत्नी, कंपनी तथा रिश्तेदारों के नाम संपत्ति बनाने का आरोप है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की अदालत ने उन्हें सात वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।