मुंबई में प्रवासी मजदूर सरकार से अपने राज्य भेजने की मांग करते हुए सड़क पर उतरे, तो सरकार-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर हुआ शुरू

By भाषा | Published: April 15, 2020 05:56 AM2020-04-15T05:56:15+5:302020-04-15T05:56:15+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बंद की अवधि बढ़ाकर तीन मई किये जाने की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से आने वाले करीब एक हजार कामगार बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास एक बस डिपो पर प्रदर्शन करने लगे।

In Mumbai, the migrant laborers came on the road demanding the government to be sent to their state, then a round of allegations and counter-allegations started in the government-opposition. | मुंबई में प्रवासी मजदूर सरकार से अपने राज्य भेजने की मांग करते हुए सड़क पर उतरे, तो सरकार-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर हुआ शुरू

बांद्रा रेलवे स्टेशन पर हजारों मजदूर अपने घर जाने की मांग करते हुए जुटे

Highlightsइस प्रदर्शन के बाद शिवसेना और मुख्य विपक्षी दल भाजपा के बीच जुबानी जंग भी शुरू हो गई। उद्धव ठाकरे ने कहा, “बांद्रा में मौजूदा स्थिति जिसे अब सुलझा लिया गया या सूरत में हुआ उपद्रव केंद्र सरकार द्वारा इन प्रवासी कामगारों को वापस उनके घर भेजे जाने के बारे में कोई फैसला नहीं ले पाने का नतीजा है।”

मुंबई मुंबई में राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान अपने घर जाने के लिये प्रवासी कामगारों द्वारा किये गए प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र में मंगलवार को सरकार और विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज हो गई। मुंबई में दिहाड़ी मजदूरी पर काम करने वाले सैकड़ों प्रवासी कामगार वापस अपने पैतृक स्थान पर भेजे जाने के लिये मंगलवार को परिवहन इंतजाम करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर गए। हाल ही में गुजरात के सूरत में भी प्रवासी कामगारों ने ऐसा प्रदर्शन किया था।

प्रधानमंत्री की बंद की अवधि बढ़ाकर तीन मई किये जाने की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से आने वाले करीब एक हजार कामगार बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास एक बस डिपो पर प्रदर्शन करने लगे। इस प्रदर्शन के बाद शिवसेना और मुख्य विपक्षी दल भाजपा के बीच जुबानी जंग भी शुरू हो गई। महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने इस प्रदर्शन के लिये केंद्र पर आरोप लगाया और इन कामगारों के पैतृक स्थान जाने के लिये एक विस्तृत रूपरेखा पेश किए जाने की मांग की।

ठाकरे ने ट्वीट कर कहा, “बांद्रा में मौजूदा स्थिति जिसे अब सुलझा लिया गया या सूरत में हुआ उपद्रव केंद्र सरकार द्वारा इन प्रवासी कामगारों को वापस उनके गृह स्थान भेजे जाने के बारे में कोई फैसला नहीं ले पाने का नतीजा है।” गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि प्रवासी कामगारों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री राज्यों की सीमाओं को फिर से खोलेंगे। देशमुख ने कहा कि प्रवासी कामगारों को आश्वासन दिया गया कि राज्य सरकार उनके खाने और रहने का इंतजाम करेगी जिसके बाद वे वापस चले गए।

भाजपा नेता और पूर्व मंत्री आशीष शेलार ने कहा कि यह प्रदर्शन बंद का लागू कराने में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार की विफलता को दर्शाता है। शेलार ने कहा कि यह सभी कामगार बांद्रा (ईस्ट), बांद्रा (वेस्ट), खार और आसपास के अन्य इलाकों के थे। “बंद की स्थिति के दौरान वे प्रदर्शन स्थल पर कैसे पहुंचे? सरकार को लोगों के इकट्ठा होने के बारे में कोई खुफिया सूचना क्यों नहीं थी। यह सरकार की विफलता दर्शाता है। ” उन्होंने कहा कि बंद को सफल बनाना चाहिए क्योंकि यह लोगों की सुरक्षा से जुड़ा है, जिन्हें खाना और दूसरे जरूरी सामान उनके घरों तक पहुंचाये जाने चाहिए।

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनोज शर्मा ने कहा, “ये सभी स्थानीय नागरिक थे। बड़ी संख्या में लोग इस इलाके (बांद्रा) में रहते हैं, अभी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।” भाजपा नेता किरीट सोमैया ने भी प्रदर्शन को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह बेहद गंभीर मामला है। उद्धव ठाकरे सरकार कोरोना वायरस महामारी से निपटने में विफल रही है।” उन्होंने कहा कि सरकार को जरूरी सामान के वितरण के लिए समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। सोमैया ने कहा, “उम्मीद है कि ठाकरे सरकार इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आंख खोलने वाला मानेगी।”

स्थानीय कांग्रेसी विधायक जीशान सिद्दिकी ने कहा कि यह स्थिति तब बनी जब लोगों को बंद की अवधि बढ़ाए जाने के बारे में पता चला। उन्होंने कहा, “यह सरकार की विफलता नहीं है, हम शुरू से ही स्थिति पर नजर रखे हुए हैं…।” बांद्रा पुलिस थाने के एक अधिकारी ने कहा कि जब कामगार शुरू में मौके पर जुटे थे तो पुलिसवालों ने उन्हें खाने के पैकेट बांटे थे। उन्होंने कहा, “लेकिन कुछ समय बाद उनकी संख्या बढ़ गई और वे खाने के पैकेट छीनने लगे, सबकुछ नियंत्रण में है, लाठीचार्ड कर भीड़ कोवहां से हटा दिया गया।”  

Web Title: In Mumbai, the migrant laborers came on the road demanding the government to be sent to their state, then a round of allegations and counter-allegations started in the government-opposition.

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