एग्जिट पोल्स सही हैं तो गुजरात में नरेंद्र मोदी के आछे दिन पाछे गये
By रंगनाथ | Updated: December 15, 2017 17:33 IST2017-12-14T20:21:35+5:302017-12-15T17:33:13+5:30
गुजरात चुनाव के नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे। ज्यादातर एग्जिट पोल्स में बीजेपी की जीत का अनुमान जताया गया है। अगर ये अनुमान सही हैं तो नरेंद्र मोदी के लिए इसका क्या संदेश होगा?

एग्जिट पोल्स सही हैं तो गुजरात में नरेंद्र मोदी के आछे दिन पाछे गये
गुजरात चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान गुरुवार (14 दिसंबर) को समाप्त हो गया। नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे। मतदान खत्म होते ही टीवी चैनलों पर एग्जिट पोल्स की बमबारी शुरू हो चुकी हैं। इन एग्जिट पोल्स में बीजेपी को विजेता घोषित किया जा रहा है। बीजेपी की जीत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का करिश्मा बताया जाने लगा है। जाहिर है उगते हुए सूरज को सभी सलाम करते हैं तो मोदी और शाह की तारीफ में कसीदे पढ़ना स्वाभाविक है।
किसी चीज का आकार आपको कितना बड़ा दिखता है ये इस बात पर निर्भर आप उसे कितने दूर से देख रहे हैं। विंध्याचल अगर पास हो और हिमालय दूर हो तो जाहिर है साधारण आँखों से विंध्याचल ही ज्यादा ऊँचा लगेगा। लेकिन हम सभी जानते हैं हिमालय की ऊँचाई विंध्याचल से काफी ज्यादा है। यही हाल राजनीति का है। हमारे दौर के नेता हमें सबसे विशालकाय लगते हैं। उनके सामने बाकी सभी छोटे लगते हैं। गुजरात का ही उदाहरण ले लीजिए। असल नतीजे चार दिन बाद ही आएंगे लेकिन आज हम मान लेते हैं कि एग्जिट पोल्स ने जनता की नब्ज सही पकड़ी है। बीजेपी फिर सरकार बना लेगी गुजरात में। तो क्या ये नतीजे ये साबित करेंगे कि नरेंद्र मोदी का जलवा बरकरार है? मेरे ख्याल से एग्जिट पोल्स के नतीजे बस ये साबित करेंगे कि गुजरात में बीजेपी का वोट बैंक अभी बना हुआ है। जो मोदी के सीएम बनने से पहले उसके साथ था। और खुद मोदी गुजरात में अपना सर्वश्रेष्ठ दौर देख चुके हैं। कैसे? इस पर विचार करने से पहले एग्जिट पोल्स के नतीजों पर एक नजर डाल लेते हैं।
- इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया - कांग्रेस 68-82, बीजेपी 99-113, अन्य 1-4,
- टाइम्स नाउ- कांग्रेस 66, बीजेपी 113, अन्य- 3,
- इंडिया टीवी- कांग्रेस 65-75, बीजेपी 104-114, अन्य 0-4,
- एबीपी- कांग्रेस 64, बीजेपी 117, अन्य 1,
- न्यूज 18-सी वोटर- कांग्रेस 74, बीजेपी 108, न्यूज 24- कांग्रेस 47, बीजेपी 135
कहते हैं चीनी क्रांति के नायक माओत्से तुंग से जब 1789 में हुई फ्रांसीसी क्रांति पर उनकी राय मांगी गयी तो उन्होंने कहा था कि इस पर राय देना अभी जल्दबाजी होगी। भारतीय पीएम मनमोहन सिंह भी अपने 10 साल के कार्यकाल का असल निर्णायक इतिहास को बता चुके हैं। अगर एग्जिट पोल्स के नतीजे सच के करीब हुए तो इतिहास के आईने में गुजरात विधान सभा 2017 का चुनाव कैसा दिखेगा और उसमें नरेंद्र मोदी का चेहरा कितना बड़ा होगा?
महाराष्ट्र से अलग होने के बाद गुजरात में पहली बार 1962 में विधान सभा चुनाव हुए। 154 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में कांग्रेस को 154 में से 113 सीटों पर जीत मिली थी। स्वतंत्रता पार्टी को 26 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेसी नेता बलवंतराय मेहता सीएम बने थे। राज्य में पहली बार 182 सीटों पर 1975 में विधान सभा चुनाव हुए थे। भरत सिंह सोलंकी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 141 सीटों पर जीत हासिल की। जनता पार्टी को 21 सीटों पर जीत मिली थी। 1980 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने 1980 के विधान सभा चुनाव में 182 में से 141 सीटें जीतीं। 1985 के चुनाव में राज्य की 182 सीटों में से 149 सीटों से 149 सीटों पर कांग्रेस चुनाव जीती। जनता पार्टी को महज 14 सीटों पर जीत मिली थी।
गुजरात की राजनीति में नाटकीय बदलाव करीब तीन दशक बाद आया। 1990 के विधान सभा चुनाव में जनता दल को 70 और बीजेपी को 67 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस 33 सीटों के साथ ही सत्ता से बाहर हो गयी। 1995 के चुनाव में बीजेपी को 121 सीटों पर जीत मिली और कांग्रेस को 45 सीटों पर। 1998 में बीजेपी को 117 और कांग्रेस को 53 सीटों पर जीत मिली। उसके बाद साल 2001 में हुए गोधरा ट्रेन कांड और गुजरात दंगों के बाद जब साल 2002 में राज्य में विधान सभा चुनाव हुए तो पहली बार बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के नाम पर विधान सभा चुनाव लड़ा। चुनावी विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी को दंगों के बाद हिंदू वोटों के एकीकरण का फायदा मिला। साल 2002 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी को 127 सीटों पर जीत मिली। यानी वो अपने 1995 के प्रदर्शन से बस छह सीटें ज्यादा हासिल कर सकी। यानी मोदी को चेहरा बनाने के बाद बीजेपी के वोट बैंक में बहुत बड़ा विस्तार नहीं हुआ था।
साल 2002 के बाद बीजेपी ने दो और चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा। साल 2007 में गुजरात विधान सभा चुनाव नरेंद्र मोदी के सीएम के रूप में कार्यकाल पर जनता की पहली रायशुमारी थी। बीजेपी को 2007 में 10 सीटों के नुकसान के साथ 117 सीटों पर जीत मिली। साल 2012 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी यथास्थिति बरकरार रखने में कामयाब रही और उसे 116 सीटों पर जीत मिली। 2012 में कांग्रेस को 60 सीटों पर जीत मिली थी। न्यूज 18 और सी वोटर को छोड़कर किसी एजेंसी ने बीजेपी को 127 सीटों से ज्यादा मिलने का अनुमान नहीं जताया है। अगर ये सच हुआ तो इसका सीधा संदेश होगा कि नरेंद्र मोदी कम से कम गुजरात में अपना बेस्ट 15 साल पहले दे चुके हैं। देश की राजनीति में उनका कद चाहे जितना बड़ा हो जाए गुजरात के राजनीतिक इतिहास में वो बलवंत राय मेहता और भरत सिंह सोलंकी जैसे कांग्रेसी नेताओं की सफलता नहीं दोहरा सके। यानी गुजरात में नरेंद्र मोदी के आछे दिन पाछे गये।