एक्शन में गुजरात भाजपा, निर्देशों की अवहेलना, 38 पार्षदों को निलंबित किया, जानिए पूरा मामला
By भाषा | Published: August 26, 2020 08:04 PM2020-08-26T20:04:07+5:302020-08-26T20:04:07+5:30
विज्ञप्ति में कहा गया कि 38 में से 14 पार्षद राजकोट के उपलेटा नगरपालिका से हैं, जबकि 13 कच्छ के रापर नगरपालिका से हैं। अन्य पार्षद पाटन, बनासकंठा, साबरकंठा और भावनगर जिलों के क्रमशः हरिज, थराड, खेड़ब्रह्म और तालजा नगरपालिकाओं के हैं।
अहमदाबादः गुजरात में भाजपा ने छह नगरपालिकाओं के अपने 38 पार्षदों को अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के पदों के लिए 24 अगस्त के हुए चुनावों के दौरान पार्टी के निर्देशों की अवहेलना करने के लिए निलंबित कर दिया। राज्य इकाई ने बुधवार को यह जानकारी दी।
भाजपा द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, ये पार्षद या तो चुनाव के दौरान अनुपस्थित रहे या पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान नहीं किया। विज्ञप्ति में कहा गया कि 38 में से 14 पार्षद राजकोट के उपलेटा नगरपालिका से हैं, जबकि 13 कच्छ के रापर नगरपालिका से हैं। अन्य पार्षद पाटन, बनासकंठा, साबरकंठा और भावनगर जिलों के क्रमशः हरिज, थराड, खेड़ब्रह्म और तालजा नगरपालिकाओं के हैं।
गुजरात सरकार भूमि पर कब्जे रोकने के लिए एक कड़ा कानून लाएगी
गुजरात सरकार ने राज्य में भूमि कब्जाने की गतिविधि पर रोक के लिए एक सख्त कानून लाने का बुधवार को निर्णय किया जिसमें 14 वर्ष तक की सजा का प्रावधान होगा। राजस्व मंत्री कौशिक पटेल ने गांधीनगर में संवाददाताओं से कहा कि राज्य कैबिनेट की एक बैठक में कड़े प्रावधानों वाले ‘‘गुजरात लेंड ग्रैबिंग प्रोहिबिशन एक्ट’’ नाम से एक नया कानून लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, चूंकि विधानसभा सत्र में नहीं है, इसलिए सरकार प्रस्तावित कानून के प्रावधानों को तत्काल लागू करने के लिए एक अध्यादेश लाएगी।
विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रस्तावित कानून के तहत, यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाएगा कि इस तरह के मामलों का छह महीने के भीतर निपटारा किया जाए। इसमें कहा गया है कि भूमि कब्जाने के दोषी पाये गए व्यक्तियों को 10 से 14 वर्ष की सजा हो सकती है।
साथ ही उन पर संबंधित जमीन की सरकारी दर के बराबर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। सरकार मुकदमे को गति देने के लिए एक विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति करेगी। साथ ही विशेष अदालतों को भूमि कब्जाने के किसी भी मामले में स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार होगा। इसमें कहा गया है कि इस कानून के दायरे में सार्वजनिक एवं निजी स्वामित्व, दोनों तरह की भूमि आएगी।