गलवान घाटी मामलाः 'मोदी ने सेना को धोखा दिया', अलका लांबा ने कहा- अपनी नाकामियों से वह देश का ध्यान भटकाता चला गया...
By रामदीप मिश्रा | Published: June 22, 2020 10:49 AM2020-06-22T10:49:13+5:302020-06-22T10:55:36+5:30
भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में पांच सप्ताह से अधिक समय से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। इसको लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार पर हमलावर हैै।
नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए थे, जिसको लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार हमलावर है। सोमवार को पार्टी की नेता अलका लांबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है और कहा है कि मोदी ने सेना को धोका दिया है।
अलका लांबा ने ट्वीट करते हुए कहा, 'अपनी नाकामियों से वह देश का ध्यान भटकाता चला गया, फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया।' इसके अलावा उन्होंने हैशटैग 'मोदी ने सेना को धोखा दिया' चलाया है।
इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान को लेकर उनकी आलोचना करते हुए सोमवार को कहा कि मोदी को अपने बयान से चीन के षड्यंत्रकारी रुख को ताकत नहीं देनी चाहिए तथा सरकार के सभी अंगों को मिलकर मौजूदा चुनौती का सामना करना चाहिए। भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति एवं मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता तथा यह सुनिश्चित होना चाहिए कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाए।
अपनी नाकामियों से वह देश का ध्यान भटकाता चला गया,
— Alka Lamba 🇮🇳🙏 (@LambaAlka) June 22, 2020
फिक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया.#ModiBetrayedArmy
पीएम मोदी ने कहा था- हमारे क्षेत्र में कोई नहीं घुसा
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन तनाव विषय पर शुक्रवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कहा था कि न कोई हमारे क्षेत्र में घुसा और न ही किसी ने हमारी चौकी पर कब्जा किया है। उनके इस बयान को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने शनिवार को कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सर्वदलीय बैठक में की गई टिप्पणियों की कुछ हलकों में 'शरारतपूर्ण व्याख्या' की कोशिश की जा रही है।
1967 में 300 चीनी सैनिक मारे गए थे
बता दें, पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़े सैन्य टकराव के कारण गलवान घाटी क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया। भारतीय सेना ने भी चीन को करारा जवाब दिया है और उसके भी कई सैनिकों की झड़प में मौत हुई है। वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है। उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे।
एलएसी पर इन क्षेत्रों में है गतिरोध
भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में पांच सप्ताह से अधिक समय से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। चीनी सेना के जवान बड़ी संख्या में पैंगोंग सो समेत अनेक क्षेत्रों में सीमा के भारतीय क्षेत्र की तरफ घुस आए थे। भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के उल्लंघन की इन घटनाओं पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करती रही है और उसने क्षेत्र में अमन-चैन की बहाली के लिए चीनी सैनिकों की तत्काल वापसी की मांग करती रही है। दोनों पक्षों ने पिछले कुछ दिन में विवाद सुलझाने के लिए श्रृंखलाबद्ध बातचीत की थी।