नई दिल्लीः संसद की सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित स्थायी समिति द्वारा फेसबुक से जुड़े एक ताजा विवाद को लेकर इस सोशल नेटवर्किंग कंपनी से जवाब मांगने की संभावना के बीच भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और विपक्षी सांसदों शशि थरूर एवं महुआ मोइत्रा के बीच सोमवार को टि्वटर पर वाकयुद्ध देखने को मिला।
दरअसल, अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के साथ साक्षात्कारों का हवाला दिया है। इसमें दावा किया गया है कि उसके एक वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाला पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक भाजपा विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में दखलंदाजी की थी।
इस मामले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस सांसद और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति के प्रमुख थरूर ने कहा कि यह समिति इस खबर के बारे में फेसबुक से जवाब मांगना चाहेगी। समिति के सदस्य और भाजपा सांसद दुबे ने थरूर की टिप्पणी पर कहा कि सदस्यों को अपनी पार्टी के नेताओं के अहम की संतुष्टि के लिए इस समिति को राजनीतिक मंच नहीं बनाना चाहिए।
दुबे ने ट्वीट किया, ‘‘शशि थरूर, आप समिति और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की संतुति के बिना राहुल गांधी का एजेंडा बंद करिए।’’ इसपर, तृणमूल कांग्रेस की सांसद और समिति की सदस्य महुआ ने कहा कि किस विषय को कब सूचीबद्ध करना है और किसे बुलाना है, यह समिति के अध्यक्ष का अधिकार क्षेत्र होता है।
कांग्रेस ने फेसबुक पर हमला तेज किया, इंटरनेट कंपनी ने कहा-द्वेषपूर्ण भाषणों को रोकती है
खबर को लेकर बढ़ते विवाद के बीच कांग्रेस ने फेसबुक के खिलाफ हमला तेज कर दिया। हालांकि सोशल मीडिया की इस दिग्गज कंपनी ने जोर देकर कहा कि उसकी नीतियां वैश्विक रूप से बिना राजनीतिक जुड़ाव देखे लागू की जाती हैं।
संबंधित खबर में कहा गया है कि फेसबुक भाजपा के कुछ नेताओं को लेकर घृणा भाषणों के नियमों को लागू नहीं करती। कांग्रेस ने कहा कि फेसबुक द्वारा द्वेषपूर्ण सामग्री के खिलाफ “कार्रवाई नहीं करने” से भारत में “लोकतंत्र अस्थिर” हो रहा है और वह अमेरिकी अखबार की खबर में उल्लिखित आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग करती है। इस विवाद के बीच भारत में फेसबुक की वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी आंखी दास ने दिल्ली पुलिस के पास एक शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि उन्हें ‘‘जान से मारने की धमकी’’ मिल रही है।
अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। फेसबुक ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कंपनी के सोशल मीडिया मंच पर नफरत या द्वेष फैलाने वालों ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है।
इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है। कंपनी भारत को अपना प्रमुख बाजार मानती है। फेसबुक ने इसके साथ ही यह स्वीकार किया है कि वह नफरत फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती है, लेकिन इस दिशा में और बहुत कुछ करने की जरूरत है। अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के साथ साक्षात्कारों का हवाला दिया है।