लाभ का पद मामले में 20 विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने की खबर पर आम आदमी पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति मोदी जी के इशारे पर साजिशन ऐसी कार्रवाई कर रहे हैं। 23 जनवरी को रिटारय होने से पहले वो मोदी जी का कर्ज उतार देना चाहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चुनाव आयोग ने लाभ का पद मामले में 20 विधायकों की सदस्यता खत्म करने पर बड़ा फैसला लिया है। इसके लिए आयोग ने राष्ट्रपति को सिफारिश भेजी है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में 'आप' नेता सौरभ भारद्वाज ने क्या कहा?
- आज कई टीवी चैनल्स में ये खबर चल रही है कि इलेक्शन कमीशन ने प्रेसिडेंट को आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता के बारे में राष्ट्रपति को अपनी सिफारिश भेजी है। आधिकारिक रूप से इस बारे में कुछ पता नहीं चला है।
- किसी आदमी ने राष्ट्रपति को शिकायत की 'आप' विधायकों के पास लाभ के पद हैं। लाभ का पद होता है कि उनके पास सरकारी गाड़ी, बंगला या वेतन हो। क्या इन विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले किसी व्यक्ति ने देखा है कि उन्होंने सरकारी, गाड़ी, बंग्ला या एक रुपये की भी तनख्वाह ली हो।
- इन सभी बात को इलेक्शन कमीशन के सामने रखना था। लेकिन इस बारे में सुनवाई किए बगैर ही कमीशन ने राष्ट्रपति को अपनी सिफारिश भेज दी।
- हाईकोर्ट ने ये निर्णय दिया था कि ये विधायक कभी संसदीय सचिव बने ही नहीं। इलेक्शन कमीशन ने कहा था कि हम इस मामले में सुनवाई करेंगे।
- जिस आदमी के ऊपर मुकदमा चल रहा है उनको एक मौका दिया जाएगा अपनी बात रखने का। अभी तक इलेक्शन कमीशन में इस बारे में कोई सुनवाई नहीं हुई।
- इलेक्शन कमीशन में 1975 बैच के रिटायर्ट आईएस हैं अचल कुमार ज्योति। वो मोदी के अंतर्गत विभिन्न पोस्ट पर रहे। 1953 में जन्में ज्योति 23 जनवरी 2018 को 65 साल के हो जाएंगे। वो सोमवार को रिटायर होने वाले हैं। इसीलिए वो जल्दबाजी में जबरदस्ती का निर्णय देना चाहते हैं।
- अभी तक जो सारी सुनवाई इस बात पर हुई थी कि हाईकोर्ट ने निर्णय दिया था कि ये विधायक संसदीय सचिव थे ही नहीं। मोदी जी का कर्ज चुकाने के लिए ज्योति जी ऐसी कार्रवाई कर रहे हैं।
क्या है लाभ के पद का पूरा मामला?
इस वक्त दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के पास 66 विधायक हैं। 20 विधायकों की सदस्यता समाप्त होने के बाद यह संख्या 46 रह जाएगी। यह पूरा विवाद 29 वर्षीय वकील प्रशांत पटेल की की एक अर्जी के बाद शुरू हुआ था जिसे उन्होंने राष्ट्रपति कार्यालय में भेजा था। इसमें आम आदमी पार्टी के विधायकों के संसदीय सचिव बनाए जाने पर सवाल उठाए गए थे। इसी अर्जी के आधार पर कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग में एक याचिका दाखिल की थी। जिस पर आयोग ने आज फैसला लिया है।